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कविता

मोर गांव के बजार

आबे वो गोई मोर गांव के बजार,
घुमाहुं तोला मैंय हटरी बजार!
संगे जाबो मोर गांव के बजार,
पहिराहुं तोला वो नवलखिया के हार!

खवाहुं तोला मैंय जलेबी मिठई,
सुरता राखबे मोर रुद्रीनवागांव के बजार!
अउ खवाहुं चना मुर्रा लाई,
हफ्ता दिन बुधवार भराथे मोर गांव के बजार!

कान बर खिंनवा,हाथ बर चुरी!
नाक बर नथनी,गोंड़ बर पैईरी!

किसिम किसिम आनी बानी के,
बारह हाथ के लुगरा लेहुं!
मांथ के टिकली सुग्हर फबहि
चिंन्हारी मुंदरी तोला देहुं

आबे वो गोई मोर गांव के बजार,
घुमाहुं तोला मैंय हटरी बजार!
सुरता राखबे मोर रुद्रीनवागांव के बजार,
हफ्ता दिन बुधवार भराथे मोर गांव के बजार!!

मयारुक छत्तीसगढ़िया
सोनु नेताम”माया”
रुद्री नवागांव धमतरी
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