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गोठ बात

मुसवा के बिहाव

मुसवा गनेश भगवान ल कहिस, महाराज मैं तोला कतेक दिन ले बोहे-बोहे गिंजरत रइहौं पेट पीठ में बुता करत-करत मोर उमर ह पहा जाही। महू ला अपन गिरस्थी बसाना हे। मैं अपन बर जोड़ी पसंद कर डारे हाववं। अब बतावव मोर बिहाव करहू कि नहीं। अगर तुमन मोर बिहाव ल नइ करहू तव में हा कोरट में जाके सरकारी बिहाव कर लुहुं। मामला बड़ गंभीर होगे रिहसि। एकर सेती गनेश भगवान मुसवा ल धर के सीधा कैलास परबत गीस अउ महादेव अउ पारबती माता ल सरी बात ल बतइस। मुसवा के बिहाव के बात ल सुन के महादेव भगवान कठल-कठल के हांसे बर धरलीस।
गनेश भगवान ल अपन मुसवा ऊपर अब्बड़ भरोसा रहिस। चौबीसों घंटा ओ हा ओकर सेवा बजावत राहय। बड़े जनिक पेट वाला गनेश भगवान ल ओहा अपन पीठ में बोहे-बोहे ओला तीनों लोक चौदह भुवन के सैर करावत राहय। फेर एक दिन अनर्थ होगे। भारत देश के अपन भगत मन के भक्ति ल देख के गनेश भगवान भारत देश में डेरा ल डार दीस। डेरा का डारिस उही दिन ले ओकर विपत्ति के दिन सुरु होगे। ओकर मुसवा गायब होय बर धरलीस। जब कहूं जाय बर गनेश भगवान ह अपन मुसवा ल खोजय त ओकर मुसवा गायब मिलय। गनेश भगवान खोज खबर लीस। तव पता चलिस कि मुसवा ह ठौका खाय के बेरा में आथे अउ ओकर बाद कहां चल देथे ओला कोनो ल नई बतावय। कोनो कहिन कि ओहा अपन नाव मनरेगा में लिखवा डारे हे, तव कोनो कहे ओला एक रुपिया किलो चाउर वाला रासन कार्ड मिल गेहे। कोनो ओला ब्लाक आफिस में इंदिरा आवास के पइसा मंजूर कराय बर बाबू मन के सेवा करत देखीस। एक दिन तो हद होगे जब गनेश भगवान ल पता चलिस कि ओकर मुसवा ह अपन पीठ में दारू के शीशी लाद के गली-गली दारू बेचथे। एक झन कालेज पढ़इया लइका बताइस कि ओहा गनेश भगवान के मुसवा ल नोनी मन के कालेज कोती एक झन मुसवइन संग किंजरत देखे हे। बड़ मुसकुल होगे। गनेश भगवान ल बिन सवारी के ओ हा एक जघा बंधागे। कोनो-कोनो ओला सलाह दिन के मुसवा गायब होय के रपट थाना में लिखा देना चाही। गनेश भगवान थाना गिस तव ओला थाना के हवलदार चमका दिस कि एक तो बंधुआ मजदूर रखते हो, ऊपर से थाना आ गये रपट लिखाने। बड़ मुसकुल म गनेश भगवान ल एक झन दलाल मिलिस। जेन ह थाना के मुंसी ला रपट लिखे बर पटाइस। मुंसी ह गनेश भगवान मेर एक दस्ता कागज, दस कारबन अउ एक दरजन पेन मंगइस।अउ वहु चेतइस कि जात-जात बिसहत होटल में दस झन के चाय, खारा-मीठा नास्ता अउ दस मीठा पान के पइसा जमा कर देबे। ऊपर ले मुंसी पांच सौ के नोट अउ मांग लीस। मुंसी गनेश भगवान के मुसवा गंवाय के रपट लिखिस अउ चेतइस कि अगर मुसवा तोला कहुं दिख जाही तव हमूमन ल खबर कर देबे। इहां तो नेता अउ अधिकारी मन के सेवा करे के चक्कर में हमन ल दम मारे के फुरसत नई मिलय।
अब्बड दिन के बाद मुसवा ह मुसवइन संग नोनी मन के कालेज के स्टोर रूम में मिलीस। भगत मन मुसवा ल धर पकड़ के गनेस भगवान मेर लाइन। मुसवा गनेश भगवान ल कहिस, महाराज मैं तोला कतेक दिन ले बोहे-बोहे गिंजरत रइहौं पेट पीठ में बुता करत-करत मोर उमर ह पहा जाही। महू ला अपन गिरस्थी बसाना हे। मैं अपन बर जोड़ी पसंद कर डारे हाववं। अब बतावव मोर बिहाव करहू कि नहीं। अगर तुमन मोर बिहाव ल नइ करहू तव में हा कोरट में जाके सरकारी बिहाव कर लुहुं। मामला बड़ गंभीर होगे रिहसि। एकर सेती गनेश भगवान मुसवा ल धर के सीधा कैलास परबत गीस अउ महादेव अउ पारबती माता ल सरी बात ल बतइस। मुसवा के बिहाव के बात ल सुन के महादेव भगवान कठल-कठल के हांसे बर धरलीस। कहिस के मुसवा घलो बिहाव करहूं काहथे। शिव पारबती माता महादेव ल डपकार के चुप कराइस अउ कहिस, कि मुसवा ल घलो बिहाव करे के हक हे। एकर बिहाव ल हमन करबो। हमर अंगना में एकर मड़वा गड़ही। महादेव महाराज में पारबती माता के आदेश के उल्लंघन करे के हिम्मत नइ होइस अउ उहू ल मुसवा के बिहाव करेबर तियार होय बर परीस। अब समसिया ये आइस कि मुसवइन के कन्यादान कोन करही। ओकर मड़वा काकर अंगना में गड़ही। पारबती माता लक्ष्मी दाई ल मोबाइल लगइस अउ अपन समसिया ल बताइस। लक्ष्मी दाई तो कनिया दान करे बर लुकलुकाय रहीस ओ कहीस मुसवइन के कन्यादान ल हमन करबो। ओकर बिहाव के मड़वा ह हमर अंगना में गड़ही। जब लक्ष्मी दाई तियार होगे तो बिसनु भगवान तियार होना रहीस। एक दिन महादेव महाराज अउ बिसनु भगवान ब्रह्मजी मेर जाके दिन बादर जंचवइन बिहाव के दिन तारीख तय होगे। तव बिसनु भगवान हाथ जोड़ के शंकर भगवान ल कहीस कि मोर एक बिनती हे समधी महाराज, थोकन सुन लेतेव। महादेव महाराज कहीस कि येमा बिनती करे के का जरूरत हे समधी साहेब तुमन आडर दो न जी। बिसनु भगवान कहीस कि ये दारी के बरात में भूत-परेत ल धरके झन आहू भई। लोग लइका अउ माइ लोगिन मन तो डेर्रा बे करहीं। समाज में हमर हीनता घलो हो जाही। महादेव कहीस कि येकर चिन्ता ल तुमन झन करवजी आजकाल भूत-परेत अउ मसान मन नेतागिरी करेबर धर लेहें। कोनो नेतागिरी करत हे तो कोनो चमचागिरी में अपन-अपन भाग आजमावथें। ओमन जेन रद्दा ले निकलथें ओती बर ओमन समसान बना देथें। दंगादासी सबो ओमन करावथें। ओमन आजकाल अब्बड़ बिजी चलथें काबर कि चुनाव लकठिया गे हावय। मैं डमरू का दफड़ा बजाहूं तभो ओमन बरात में नई आवयं। अतका में गनेश भगवान कहीस कि डीजे के बेवस्था होही तब मैं अपन संगवारी हाथी पिला मन ल बरात में नचाय बर ले आहूं। गनेश भगवान इहू कहिस के भोजन में बफे सिस्टम पारटी जरूर होना चाही। मुसवा के बरात बड़ ठाठ ले निकलीस। देवता मन रद्दा भर फूल बरसइन। देवलोक के अप्सरा मन नाचत रहिन। देवता मन मिरदंग घलो बजाय लगिन। परघौनी के बेरा में गनेश भगवान अउ हाथी पीला मन अतेक नाचिन कि ओकर मन के पेट ह पेचक गे। ओमन भूख ले बियाकुल होंगे अउ बफे के सबो खाना ल उही मन खा डारिन दूसर बरतिया मन बर लक्ष्मीदाई ह चंदन महाराज ल बलवा के फेर रंधवइस तब उहू मन भोजन पाइन।
बिहाव के बाद बरात लहूटिस पारबती माता डोला परघइस। ये किसम ले मुसवा मसवइन के बिहाव सम्पन्न होइस। एती बिहानव के बाद मुसवा एकदम बदलगे। ओहा हिन्दी में अंग्रेजी ल घोर-घोर के गोठियाय बर धरलीस। ओहा गनेश भगवान ला साफ कहि दिस कि ‘ऑफ्टर मेरिज मैं आपका जाब नई कर पाऊंगा क्योंकि मेरी वाइफ को ये सब आकवर्ड लगता है। अभी तो हम मनीमून पर जा रहे हैं वहां से लौटने पर मैं दूसरा जाब करना पसंद करूंगा। जो मेरी वाइफ को सूट करे।’ गनेश भगवान मुंह फार के मुसवा के गोठ ल सुनत रहिगे। मुसवा- मुसवइन हनीमून म चल दिन। येती गनेश भगवान ह बिना सवारी के होगे हे। उहू ह अब फटफटी बिसाय के सोचथे। अइसन फटफटी जेन ह धरती आकाश अउ पानी में चल सके। कैलास परबत में सरपट दउड़ सके। जेकर चक्का के टायर टयूब बने मजबूत होय। अइसन फटफटी अगर तुमन ल नजर आही तो गनेश भगवान ल खबर कर दुहु। ओकर बर अब्बड़ जरूरी हे।

शशि कुमार शर्मा
ग्रा. व पोस्ट तुमगांव, महासमुंद
देशबंधु ‘मडई’ से साभार