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अनुवाद : मारकस (My Dog Marcus)

मूल कहानी . My Dog Marcus
कथाकार – Colin Howard (कोलिन होवार्ड)
अनुवादक – कुबेर

कोई घला, जउन मोर बड़े जबर, सुंदर, आलसी, मूर्ख, सेंट बर्नार्ड नस्ल के मारकस से मिलतिस, विश्वास नइ कर पातिस कि अभी-अभी वो ह कोनो आइडिया सोचे हे। ये बात पक्का हे कि वो ह जउन आइडिया सोचे हे, वो ह वोकर जिन्दगी के पहिली आइडिया आय अउ मंय हा सोच नइ सकंव कि ये आइडिया ल वो ह सोचिस कइसे होही।
वो आइडिया ह कुछ अइसे रिहिस कि जउन ह सेंट बर्नार्ड के जिन्दगी ल आरामदायक बना देय। ये संबंध म मारकस के विश्वास रिहिस कि दिन के सोलह घंटा ह सुते बर, छः घंटा ह आराम करे बर अउ बांकी के दू घंटा ह डपट के खाय बर होना चाही। फेर इहाँ तो वोला कभी घला काम तियार देय जाथे, जइसे – नास्ता करते साट टहले बर, जादा ले जादा कोन्टा तक, जाय अउ आय के काम। असली कुकुर ल आगे के सोचना चाही। मारकस के अनुसार, ये ह तो खालिस जंगली गुलामी आय। जहाँ तक, वोकर आइडिया ये रिहिस – ’’अगर मंय भैरा होतेंव, जब वो ह मोला टहले बर जाय बर कहितिस, मंय सुनतेवच् नहीं, अउ मजाल हे कि वो ह मोला हला घला सकतिस, काबर कि मोला कोई हलइच नइ सकय। इही पाय के मंय ह भैरा बन जाथंव।’’
जउन दिन वो ह अपन ये योजना ल अमल म लाइस, मोर घरवाली ह घबराय-घबराय मोर कना आइस अउ चिल्ला के किहिस – ’’बिचारा, बुड़गा मारकस ह भैरा हो गे।’’
’’भैरा?’’ मंय ह चिल्लायेंव – ’’पर गय रात तक तो वो ह बिलकुल ठीक-ठाक सुन सकत रिहिस।’’ मंय ह रसोई म गेंव अउ वोला बलायेंव। ’’मारकस, टहले बर चल।’’ मंय ह केहेंव।
मंजे हुए कलाकार मन के समान मारकस ह मोर डहर उत्सुकता अउ भक्ति भाव के साथ टकटकी लगाय देखत रहय; यहाँ तक कि अइसे लगत रहय कि मंय ह का कहत हंव तउन ल वो ह जी-परान दे के सुने के कोशिश करत होय। बहुत देर ले चिल्लाय के बाद वोला विही कना छोड़ के मंय ह घूमे बर निकल गेंव, अउ वो ह मुसकात-मुसकात सुते बर चल दिस।
ये ह कुछ दिन पहिली के बात आय, मंय ह अंदाजा लगायेंव कि मारकस ह सिरिफ आधा भैरा हे, भोजन लेे जुड़े कोनों घला बात ल वो ह अभी तक सुन सकथे। इतवार के एक दिन मंय ह खाना खावत रेहेंव, जब मांस के एक ठन नानचुक टुकड़ा ह चिमटी ले सिलिप खा के कालीन के ऊपर गिर गे। हालाकि मारकस ह कुछ दुरिहा म रसोई घर म सुतत रिहिस, गिरे के आवाज ल सुन डरिस। झपट के वो ह खाय के कमरा म आइस अउ वोला गटक गिस।
’’हे!’’ मंय केहेंव – ’’तंय तो भैरा हस न।’’
मारकस के थोथना अउ पूछी, दोनो ह ओरम गे। वो ह जइसे सुरता करत होय कि वो ह तो भैरा हे।
जादा देर नइ लगिस, टहले बर जाय खातिर मंय ह तीन घांव ले वोला बलायेंव, वो ह नइ सुनिस, अउ जब कसाई ह आइस तब वो ह कूदत आ गे। आखिर म मोर घरवाली अउ मंय सहमत हो गेन कि वोकर इलाज हो सकथे।
वोकर इलाज खातिर हमन बड़ा मजेदार तरीका अपनायेन। मारकस ह भैरा हो गे हे। हमू मन ल चुप हो जाना चाही। जब मारकस ह हमर नजीक म होय तब हमन ल खाली बोले के एक्शन करना हे, एको शब्द बोले बिना।
मारकस ह कनसुना बइठेच् रिहिस अउ हिरक के देखिस घला नहीं (मारकस के पहिली प्रतिक्रिया ह बिलकुल सुस्त अउ थकेमांदे वाले रिहिस)। बहुत जल्दी वोला सचमुच चिंता होय लगिस। कही वो ह अपन ताकत के बढ़-चढ़ के उपयोग तो नइ कर परिस अउ सचमुच के भैरा तो नइ हो गे? सबले दुखदाई बात तो ये रिहिस कि वो ह सब जानय कि हमन जरूर खाय-पिये के गोठ गोठियावत हन। फेर वो तो भैरा हो गे रिहिस अउ इही बात के सुरता ह वोला दुख देेय लगिस।
जब हमन एक-दूसर ले बिना आवाज निकाले गोठियावन तब मारकस ह बहुत सोगसोगान ढंग ले हमर कोती टक लगा के देखय, ओठ के हलई ल पढ़े के कोशिश करय। खाय बर वोला कभू नइ बलाय गिस। मोला लगे कि चौबीस घंटा म वो ह सोला घंटा के बात ल छोड़ दे एको घंटा नइ सुत पात रिहिस होही, अउ तीन सौ पौंड के वोकर वजन के कम होय के वोला चिंता धर लिस।
वोकर संग कतरो दिन ले हमन अइसनेच् व्यवहार करेन। अउ तब मंय ह एक दिन वोकर सुने के ताकत ल वापिस लाय के निर्णय करेंव। सुबह-सुबह मंय ह जोर से चिल्ला के केहेंव – ’’मारकस! आ जा बालक, तोर टहले के बेरा हो गे हे।’’
वोकर बड़े जबर थोथना म भारी खुशी अउ राहत के भाव पसर गे। आखिर वो ह भैरा जो नइ हे। वो ह उछल के ठाड़ हो गे। नानचुक सुंदर पिला मन सरीख मेछरावत वो ह मुहाटी कोती भागिस। खुशी-खशी वो ह अपन जिंदगी के सबले जादा दुरिहा, आधा मील टहल के आइस।
मारकस ल दुबारा भैरा होय के कोनो तकलीफ नइ होइस। हमू मन ल नइ होइस।
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कुबेर


KUBERकथाकार – कुबेर
जन्मतिथि – 16 जून 1956
प्रकाशित कृतियाँ
1 – भूखमापी यंत्र (कविता संग्रह) 2003
2 – उजाले की नीयत (कहानी संग्रह) 2009
3 – भोलापुर के कहानी (छत्‍तीसगढ़ी कहानी संग्रह) 2010
4 – कहा नहीं (छत्‍तीसगढ़ी कहानी संग्रह) 2011
5 – छत्‍तीसगढ़ी कथा-कंथली (छत्‍तीसगढ़ी लोककथा संग्रह 2013)
प्रकाशन की प्रक्रिया में
1 – माइक्रो कविता और दसवाँ रस (व्यंग्य संग्रह)
2 – और कितने सबूत चाहिये (कविता संग्रह)
3 – ढाई आखर प्रेम के (अंग्रेजी कहानियों का छत्तीसगढ़ी अनुवाद)
संपादित कृतियाँ
1 – साकेत साहित्य परिषद् की स्मारिका 2006, 2007, 2008, 2009, 2010
2 – शासकीय उच्चतर माध्य. शाला कन्हारपुरी की पत्रिका ’नव-बिहान’ 2010, 2011
सम्मान
गजानन माधव मुक्तिबोध साहित्य सम्मान 2012, जिला प्रशासन राजनांदगाँव
(मुख्‍यमंत्री डॉ. रमन सिंह द्वारा)
पता
ग्राम – भोड़िया, पो. – सिंघोला, जिला – राजनांदगाँव (छ.ग.), पिन 491441
संप्रति
व्याख्याता,
शास. उच्च. माध्य. शाला कन्हारपुरी, वार्ड 28, राजनांदगँव (छ.ग.)
मो. – 9407685557
E mail : kubersinghsahu@gmail.com