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कहानी

नवा बहिनी : नान्हे कहिनी

दीनू मन तीन भाई होथय। बहिनी तो भगवान हा उँखर भाग मा लिखे नइ रहिस। दीनू एसो नवमीं पढ़ही, छोटे भाई विनय सातवीं अउ बड़े भाई मनोज हा ग्यारवीं। दीनू के ददा हा बिजली विभाग के सरकारी करमचारी हवय।हर चार-पाँच बच्छर मा उँकर रहे बसे के ठिकाना बदल जाथय। दीनू अपन दूनो भाई ले अलग सुभाव के हवय। ओहा जौन गाँव मा जाथय नवा संगवारी बना डारथे।वो हा नोनी पिला मन संग जादा रहिथे।
जब जब राखी तिहार आथे तब ओकर मन गरु हो जाथय। गुने लगथे एसो कोन राखी बाँधही? पहिली कक्षा मा पढ़त घनी कोन राखी बाँधे रहिस तेकर सुरता नइ हे। तीसरी पढ़त रहिस तब ओकर बाबू के आन गाँव बदली होगे।तब ओ बच्छर दीनू के हाँथ मा राखी नइ चढ़िस।अइसने सातवीं पढ़त रहिस तभो जून महिना मा नवा गाँव मा ओकर ददा के फेर बदली होगे। यहू बखत ओकर हाँथ बिन राखी सून्ना होगे। फेर आगू बच्छर परोस के आन जात के छोकरी पिला ला बहिनी बना के राखी के तिहार मनाय रहिस। हर बच्छर नवा बहिनी राखी बाँधथे।एसो फेर सहर मा बदली होय हवय।सबो भाई फेर सरकारी के नवा घर , नवा इस्कूल, नवा परोसी संग रहेबर सीखत हे।डेरी हाथ कति के एक झन परोसी के दू झन टूरा टूरा लइका हे। दुसर परोसी के एक झन टूरी लइका हवय , फेर ओमन अरोस परोस मा जादा मेल जोल नइ रखय।बिजली विभाग के कालोनी मा इहाँ बड़े बड़े घर हावय फेर रहइया मन नान्हे नान्हे परिवार वाला हवय। घर मन दुरिहा दुरिहा मा घलो हवय।
आजकाल टी वी, रेडियो, पेपर मा नान नान लइका हरन, हइता, गंदा बुता करे के जादा देखा सुना बताय जाथे। तेकर सेती अब अरोसी परोसी मन उपर भरोसा नइ करे जावत हे। लइका मन के अवाई जवाई घलो अब अरोसी परोसी घर जादा नइ होवय अउ नवा परोसी मन घर बहुँतेच कमती होथय।तब दीनू के काय होही ? आज दीनू के मूँहू उतरे हवय।सीतला मंदिर कर बइठे हवय।ओकर बहिनी नइ हे तब एसो फेर ओकर हाथ सुन्ना रही? कोन बाँधही ओकर हाथ मा राखी?एसो फेर नवा बहिनी के अगोरा हवय।

हीरालाल गुरुजी”समय”
छुरा,जिला गरियाबंद