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कविता

नारी हे जग में महान

नारी हे जग में महान संगी, नारी हे जग में महान।
मय कतका करंव बखान संगी, नारी हे जग में महान।
लछमी दुरगा पारवती अऊ, कतको रुप में आइस।
भुंइया के भार उतारे खातिर, अपन रुप देखाइस।
पापी अत्याचारी मन से, मुक्ति सब ल देवाइस।
नारी हे जग में महान संगी, नारी हे जग में महान।
मत समझो तुमन येला अबला, इही हे सबले सबला।
नौ महीना कोख में राखके, पालिस पोसीस सबला।
कतको दुख ल सहिके संगी, बनाइस हे हमला महान।
नारी हे जग में महान संगी, नारी हे जग में महान।
सबके सेवा जतन करथे, नइ देवे कोनों ल दुख।
खवा पीया के तैयार करथे, भले मरे अपन भूख।
शक्ति के अवतार हरे ये ,एला तै पहिचान।
नारी हे जग में महान संगी, नारी हे जग में महान।

महेन्द्र देवांगन माटी
पंडरिया (कवर्धा )
छत्तीसगढ़
8602407353
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