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छंद दोहा

दोहालरी नवा बछर के

1

नवा बछर शुभकामना,जिनगी हो खुशहाल।
मन के कोठी मा मया,बाढ़य जी हर साल।

2

पाछू के अटके बुता,सफल सिद्ध हो जाय।
नवा बछर हे देवता,जन जन सब मुस्काय।

3

मतलबिया घरफोरवा,झन दँय घातक घात।
सुमता के दियना जलय,गाँव गली दिन रात।

4

अघुवा लहुटे दोगला,अइसन दिन झन आय।
कथनी करनी एक हो,किरिया अपन निभाय।

5

खरतरिहा खन्ती खनय,दिनभर खेती खार।
सरलग महिनत ला करै,लावय नवा बहार।

6

खेती ला पानी मिलय,फसल लहर लहराय।
खातू बिजहा हो असल,करजा सबो चुकाय।

7

अंतस मा राखव सबो, गुरतुर गुरतुर गोठ।
चुगली चारी छोड़ के, राहव सँघरा पोठ।

8

साफ सफाई मा गजब,तन मन हा फरियाय।
गली खोर सुग्घर दिखय,देश राज सुघराय।

9

सइता सत के साधना,सइँते बर झन सोच।
संतोषी मनखे अमित,सदा सबर संकोच।

10

भभकी भरमा भूत ला, जुरमिल मार भगाव।
सत के जोती ले अमित,सुग्घर साल मनाव।

अमित सिंगारपुरिया
भाटापारा (छ.ग.)
9753322055
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