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कविता

नवा साल मुबारक हो

बड़े मन ल नमस्कार, अऊ जहुंरिया से हाथ मिलावत हों।
मोर डाहन ले संगी, नवा साल मुबारक हो।
पढहैया के बुद्धि बाढहे, होवय हर साल पास।
कर्मचारी के वेतन बाढहे, बने आदमी खास।
नेता के नेतागिरी बाढहे, दादा के दादागिरी।
मिलजुल के राहव संगी, झन होवव कीड़ी बीड़ी।
बैपारी के बैपार बाढहे, जादा ओकर आवक हो।
मोर डाहन ले संगी, नवा साल मुबारक हो।
किसान के किसानी बाढहे, राहय सदा सुख से।
मजदूर के मजदूरी बाढहे, कभू झन मरे भूख से।
कवि के कविता बाढहे, लेखक के लेखनी।
पत्रकार के पत्र बाढहे, संपादक के संपादकी।
छोटे छोटे दुकानदार मन के, धन के सदा आवक हो।
मोर डाहन ले संगी, नवा साल मुबारक हो।
प्रेमी ल प्रेमिका मिले, बेरोजगार ल रोजगार।
रेंगइया ल रददा मिले, डुबत ल मददगार।
बबा ल नाती मिले, छोकरा ल छोकरी।
पढ़े लिखे जतका हाबे, सब ल मिले नौकरी।
अच्छा अच्छा दिन गुजरे, ये साल ह लाभदायक हो।
मोर डाहन ले संगी, नवा साल मुबारक हो।

महेन्द्र देवांगन माटी
पंडरिया
जिला – कबीरधाम (छत्तीसगढ़)
8602407353
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