नवा बछर के नवा तिहार,
दुनिया भर ह मनाही जी।।
मोर पीरा तो अड़बड़ जुन्ना,
मोर ,नवा बछर कब आही जी??
काबर गरीब के जिनगी ले,
सुख के, सुरूज कहाँ लुकागे हे।
करजा बोड़ी के पीरा सहीते,
आंखी के ,आंसू घलो सुखागे हे।।
मोर दशा के,टुटहा नांगर,
बूढ़हा बईला हवय गवाही जी….
मोर, नवा बछर कब आही जी?
टुटहा भंदई अउ चिरहा बंडी,
चुहत ,खपरा खदर छानी मा।
जिनगी नरक कस बोझा होगे,
भूख मरगेंन हम, किसानी मा।।
हाथ पाँव मा छाला परगे,
ओमा,मलहम कोन लगाही जी?
मोर, नवा बछर कब आही जी?
महल अटारी म, कुकुर बिलई बर,
खीर सोंहारी ह, बरसत हे।
गरीब किसान के, लांघन लईका,
दू कौंरा,सीथा बर तरसत हे।।
मोर हाथ ले, फांसी के डोरी,
कते सरकार ह, नंगाही जी?
मोर, नवा बछर कब आही जी?
नवा बछर…..। मोर पीरा…..।
राम कुमार साहू
सिल्हाटी कबीरधाम
मो नं 9977535388
[responsivevoice_button voice=”Hindi Female” buttontext=”ये रचना ला सुनव”]
One reply on “नवा बछर के नवा तिहार”
बेहतरीन रचना साहू जी, बधाई हो