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गोठ बात

नवा बछर म देखावा झन करव तुमन

नवा बछर मं नवा बिचार अउ संकल्प के संग सबके भलई के काम करना हे





सबले पहिली आप सबो ला नवा बछर के नंगत बधई अउ शुभकामना हावय। मोर अंतस के इही उद्गार हे के सरी संसार हा हांसत-गावत अउ मुसकावत नवा बछर के सुवागत करयं अउ पूरा बछर भर हा बिघन-बाधा के बिन बित जावय। कोनो हा पाछू साल के कोनो गलती ला कोनो गलती ले झन दोहरावय। नवा साल हा दगदग ले, रगरग ले सूरुज कस अंजोर हम सबके जिनगी मा बगरावय अउ अगियान के, गरब-गुमान के अंधियारी ला मेट दय। नवा बछर के सरी दिन हा नवा उछाह, नवा उमंग , नवा खुशी अउ नवा आनंद मा बितय इही उमीद एसो के नवा बछर ले हावय। नवा साल मा नवा सूरुज के नवा बिहान हा सरी संसार भर मा सुख-सांति के नवा-नवा अंजोर बगरावय। पाछू बछर के अधूरा परे कोनो सपना हा आंखी मा काजर कस अंजाय परे हा ए नवा बछर मा सच हो जाय, सकार हो जाय। नवा बछर मा नवा जोस, नवा उरजा के संग नवा कारज करे बर बल मिलत रहय। सत के सरी कारज करे खातिर सबके मन मा बिसवास के संचार सरलग होवय ए नवा बछर मा। पाछू साल के बांचे अटके जम्मो कारज हा नवा बछर मा सिद्ध पर जाय, बिगङ़े बुता हा एसो के बछर मा संवर जाय, सुफल हो जाय। मन मा पाछू साल के गुरतुर सुरता हा बसेरा बना के आगू-आगू खुशी के अगोरा मा अघुवा बनय जउन हा हा नवा बछर मा सबला खच्चित मिलय। मन ले बैर भाव के मइल हा मेटा जाय, सुनता अउ सहजोग के सुग्घर भाव हा सबके अंतस मा समा जाय। लबारी अउ लालच के ए जीवलेवा बीमारी हा जर ले उजर जाय। नवा बछर मा नसा अउ जुआ-चित्ती,सट्टा-पट्टी मा संसार के सरी सुख के अधार खोजइया अटके-भटके मनखे मन ला सत अउ इमान के करम कमई के महत्तम समझ आ जाय नवा साल मा। सइता मा सरी संसार के सुख अउ सुबिधा समाय रथे। पोगरी रपोटे मा कोनो फाइदा नइ हे इहां। सरी सांसारिक जीनिस हा इहां नास होवइया हरय अउ इहंचे छोड़ के परलोक जाना परथे सबला। एखरे सेती मिल बांट के सइता ले सरी सुख-सुबिधा ला भोगना चाही। ए संसार मा सइता ले बढके कोनो सुख नइ हे। अइसन सोच अउ समझ सबके मन मा परमातमा हा भर दय इही नवा बछर के मोर मंगल कामना।




वइसे ए नवा बछर के उत्सव हा भारतीय परमपरा अउ हिन्दू धरम के हिसाब ले नवा बछर नो हे। फेर मनखे के इतिहास मा मनखे हा खुशी मनाय के अउ ओला देखाय के ओखी खोजत रथे। अइसने खुशी मनाय अउ देखाय के सबले जुन्नटहा ओढहर के रुप नवा बछर मनाय के उतसव हा हरय। नवा बछर के अनुभूति हा अंतस मा वइसने हरय जइसे बरसा के पहिली बून्द हा देंह ला छुथे। घर मा पहिलावत लइका के जनम, नवा बिहान के अगवानी मा चिरई-चिरगुन मन के चिहुर,आरुग फूल के महर-महर अउ कोनो बरफ के पहाङ़ ले नान्हे नंदिया के अवतरन ला देख के मन मा अनुभव होथे। खुशी ला नापे के कोनो माधियम नइ हे फेर एला देखाय बताय के एकेच ठन माधियम हावय उतसव मनाना,तिहार मनाना। मनखे दिन-रात के बुता-काम ले हक खा जाथे। थक-हार जाथे। जिनगी मा दरद-पीरा, झंझट-फटफट ले रोजेच भेंट होवत रथे फेर खुशी अउ आनंद मंगल ला खोजे ला परथे। जिनगी मा इही खोज हा उतसव अउ तिहार कहाथे। अइसने एक ठन संसार के सबले बङ़े आनंद तिहार नवा बछर के उतसव हा हरय। उतसव ला सबो चिन्हार-अनचिन्हार संघरा मनाय ले एहा महाउतसव बन जाथे। नवा बछर के तिहार हा हमर भारतीय परमपरा के तिहार नो हे तभो ले आज एला पूरा भारत भर मा बङ़ धूमधाम ले मनाय जाथे। एखर पाछू एके ठन कारन हे के ए धरती हा सबके महतारी हरय अउ सरी संसार हा एखर संतान हरय। जम्मो जग हा एक परवार अउ कुटुंब बरोबर हावय। एखर सेती खुशी मनाय के मउका ला कोनो अपन हाथ ले जावन नइ दँय। लगभग सरी संसार भर हा ए तिहार मा एक परवार बरोबर एकमई होके उतसव मनाथे। ए नवा बछर मनाय के पाछू 4000 बछर जुन्ना इतिहास के कहिनी हावय। नवा साल के उतसव ला तिहार के रुप मा सबले पहिली बेबीलोन शहर मा मनाय गे रहीस। एखर पहिली नवा साल के उत्सव ला 21 मार्च के मनाय जावत रहिस जउन हा बसंत के आये के शुभ समे माने जावत रहीस। पराचीन रोम राज मा घलाव इही समे मा नवा बछर के उतसव मनाय जावत रहीस फेर उहां के तानाशाह जूलियस सीजर हा ईसा के पहिली 45वां बछर मा जब जूलियन कलेंडर के इस्थापना करीन तभे उी समे ले पहिली घांव 1 जनवरी के दिन नवा साल के उत्सव मनाय गीस। अइसन करे बर जूलियस सीजर ला पाछू साल ला याने ईसा पाछू 46वां साल ला 445 दिन के करे ला परीस। तब ले आज तक नवा बछर के उत्सव ला सरी संसार भर मा 1 जनवरी के दिन मनाय ला धर लीन। सरी संसार मा नवा बछर के ए उतसव ला मनाय अउ देखाय के रंग-ढंग भले अलग-अलग हावय, तिथि घलाव अलगेच हावय फेर संदेशा एकेच हावय। जिनगी मा खुशी के पल निकालव अउ वोला हांसी खुशी ले जी भर के जीयव। नवा बछर के सुवागत सबो संघरा नाच-गा के, मउज-मसती करके करथें। संसार के अलग-अलग जघा मा नवा साल के तिहार अलग-अलग तिथि मा मनाय जाथे। नवा बछर के उत्सव मनाय के पाछू सिरिफ इही संदेशा हावय के बीते पाछू के पछतावा झन करव अउ आघू के समे ला झन बिगाड़व। अवइया समे या फेर कही लव संग मा चलइया वरतमान समे ला सोनहा समे बना लव। कभू सुरता आवय बीते समे हा ता कोनो पछतावा झन होवय।




1 जनवरी के दिन संसार के जादा ले जादा जघा मा नवा बछर के उत्सव मनाय जाथे। नवा बछर के शुभ दिन आये के हफ्ता दिन भर पहिली 25 दिसंबर के दिन क्रिसमस जेला बड़े दिन कहे जाथे बड़ धूमधाम ले मनाय जाथे। बड़े दिन के उत्सव के संगे संग नवा साल के शुभ दिन के सुवागत मा तिहार मनाय के तियारी शुरू हो जाथे। एक दुसर ला बधई दे बर बधई के कारड, उपहार,बधई संदेश ले-दे के,भेजे के पहिली ले तियारी शुरू हो जाथे। पालटी के बेवसथा नवा साल के सुवागत मा पहिली ले हो जाथे। सब्बो झन नवा बछर के अगोरा मा एक गोड़ मा ठाड़हे रथे।

31 दिसम्बर के अधरतिहा 12 बजते साठ सरी संसार भर मा उच्छल-मंगल धूमधाम के संग शुरू हो जाथे। फटक्का फुटे ला धर लेथे, मिठाई बंटे ला धर लेथे चारो डहर। राते कन आनंद-मंगल के बाजा मा खुशी के नाच शुरू हो जाथे। 1 जनवरी के दिन नवा बछर के सुवागत मा नाच-गान, मउज-मसती,पालटी अउ फिलिम के रिंगी-चिंगी सुरुवात संगी-जहुंरिया,परवार अउ लगवार संग हो जाथे। नवा बछर के ए उत्सव के अगोरा सरी संसार ला साल भर ले होथे। नवा साल के ए तिहार हा सरी संसार भर मा सबले बड़का अउ समरिद्ध बनत जावत हावय। आज शहर के संगे संग गांव-गंवई मा घलाव नवा साल के उछाह देखे ला मिलथे। फेर ए नवा साल के तिहार समरिद्धी के संगे-संग दुसित घलो होवत जावत हे। नाच-गान, खान-पान अउ मउज-मसती मा दारु-मास के बेवसथा नवा बछर मा करे के फेशन सुरु होगे हावय। ए अलकरहा मंद-मंउहा अउ मास-मछरी के सेवन के फेसन हा तन-मन-धन बर नसकानी आय। अइसन हिजगहा फेसन ले खुद बांचव अउ दूसरो ला घलाव बचावव। सरल,सवच्छ अउ सवसथ तरीका ले नवा बछर के बधई देवंय अउ लेवंय। कोनो परकार के नसकानी अउ हलकानी काखरो बर कहूं कभू झन होवय। नवा बछर के उत्सव के सारथकता ला बनाय खातिर हमला नवा-नवा बुता-काम करे के संकल्प लेना चाही। सिरिफ संकल्प ले भर ले नवा साल शुभ अउ मंगलमय नइ होवय। एखर बर हमला अपन संकलप ला हर हाल मा पूरा करना चाही। पाछू साल के संकलप के समीक्छा खुद ला अपन आप मा करना चाही। नवा बछर मा नवा सफलता के कहिनी अपन-अपन जिनगी मा लिखना चाही, गढना चाही अउ आगू-आगू बढना चाही। मन मा धीर अउ बिसवास के बीजा बोना चाही अउ वोला सत इमान के पानी पलोना चाही, मिहनत के खातू डारना चाही। ए उदिम मा सिरतोन मा सफलता के मीठ फर हमला मिलही। बिन मिहनत मिले फोकटिहा सुख सुबिधा अउ संपत्ति हा कभू शुभ फलदायी नइ होवय। एखर ले बढिया अपन जांगर ला पेर के करम कमई ले कमाय अलवा-जलवा जीनिस हा घलाव असल सुख-सांति देथे। करिया मन अउ करिया धन हा सरी संसार बर दुखदायी होथे। लालच-लबारी अउ भस्टाचार हा हमला आखिर मा बिनास के रद्दा मा रेंगा के हमर सतियानाश कर देथे।

कन्हैया साहू ‘अमित’
हथनी, भाटापारा