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व्यंग्य

पथरा के मोल

पथरा मन, जम्मो देस ले, उदुप ले नंदाये बर धर लीस। घर बनाये बर पथरा खोजत, बड़ हलाकान होवत रेहेंव। तभे एक ठिन नानुक पथरा म, हपट पारेंव। पथरा ला पूछेंव – सबो पथरा मन कती करा लुकागे हे जी ? में देखेंव – नानुक पथरा, उत्ता धुर्रा उनडत रहय। मे संगे संग दऊंड़े लागेंव। झिन धर लेवय कहिके, उहू पथरा, अपन उनडे के चाल, बढ़हा दीस। में हफरत हफरत हाथ जोरत पूछेंव – थोकिन अगोर तो, कतिंहा दऊंड़त हस लकर धकर। ओ भागते भागत किहीस – मोला अपन हाथ म नी धरबे त बताहूं ? में अपन लइका के किरिया खावत, ओला आसवासन देंव। पथरा उदुप ले ठाढ़ होगे अऊ किथे – हमर पूरा पथरा परजाति हा, जम्मू कसमीर म निवास करे के सोंचे हे। में पूछेंव – काबर ? ओ किथे – इहां हमर कन्हो मोल निये अऊ हमर भविस म खतरा घला नजर आवत हे। मे पूछेंव – कइसे ? वो जवाब दीस – – इहां के मनखे मन, हमन ला बदनाम करे बर, नेता मनला फेंक के मारथे, कन्हो धरागे तब, अदालत म, वो बांच जथे अऊ हमन फंस जथन। दूसर कोती, कसमीर म देखव, उहां हमन ला इज्जत से, अपन घर म सकेल के राखथे। अऊ उहां, जे हमन ला फेंक के, सेना के जवान ला मारथे, तेमन ला कभू, पुलिस अऊ अदालत जाये बर नी परे। एकर मतलब हमू मन सुरकछित …। तुंही मन देख लव, अऊ जगा के पथरा फेंक के मरइया के सपोट बर, कन्हो हाथ नी उठे ….. जबकी कसमीर म, पथरा फेंक के मरइया के सपोट म, पूरा देस के कतको हाथ उठ जथे………। येकर मतलब ये आय के, उहां के पथरा धरइया ला कभू जेल जाये ला नी परय, माने हमू मनला, भविस म, कन्हो खतरा निये। अइसे भी, इहां हमन खोर म परे रहिथन, उहां घर भीतरी एसी म रहिबो…..। तूमन हमर मोल नी जानव। हमन ला फेंक के, कन्हो अयरे गयरे ला मार देथव अऊ हमन ला बदनाम करथव, तेकर सेती हमू मन कसमीर म बसे के सोंच डरे हन ………।

हरिशंकर गजानंद देवांगन, छुरा
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