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गोठ बात

पीरा ल कइसे बतावंव

आजकल फेसबुक, वाट्सअप अउ दुनियाभर के सोसल मीडिया म एक ठी नवा चलागन चले हे। आइ ए एस परीक्षा म पूछे गे सवाल- सही उत्तर बताय म 99% फैल। कुछ भी अंते-तंते सवाल रथे बिगन मुड़ी पुछी के। तभो ले मोबाइल के दीवाना मन दिन-रात उही म भिड़े रइथे।
फेर मैं जेन सवाल ल पूछत हौं तेकर जवाब देय बर सेंट परसेंट फैल हो जही। सवाल हे- “अइसन कोन सा काम हवय जेला मास्टर मन नइ कर सकय?” उत्तर बताने वाला म सेंट परसेंट के फैल होना पक्का। ए तीर मास्टर कोन हरे तेन ल जान लेना जरूरी हे। मास्टर माने गुरूजी।
“गुरूजी?”
बड़ बकवाय हे। अब गुरूजी के मायने घलो बताय ल परही बुजा के ल। अरे भई हमर जमाना म इसकुल म पढ़ाने वाला मास्टर ल गुरूजी काहन। गुरूजी मरगे उठा खटिया घलो काहन। अउ असल म गुरूजी के खटिया रेगाने वाला हरे छत्तीसगढ़ के पहिलाँवत मुखिया मंत्री। उँखरे करनी आय के गुरूजी अउ बहिनजी के खटिया रेंगाय बर सर-मैडम मन के इसकुल म तैनाती हो गे। खैर ये आने बात हो गे। हमर सवाल रिहिस अइसे कोन सा काम हे जेला मास्टर मन नइ कर सकय? काम ल खोजे के अउ सुरता करे के जरूरत नइ हे। काबर के काम के नाम लेहू तौ फैल होना पक्का हे। एकर जवाब हे- “अइसे कोई काम नइ हे जेला मास्टर न कर सकय।” याने मास्टर हर काम कर सकथे। चुनाव, जनगणना, पालतू अउ जंगली पसु गनना, मतदाता सूची, पोलियो ड्राप, कुकुर मन के नसबंदी, दारू बेचई खुले म सौच के चौकीदारी। अउ जेन भी काम कहि लौ सब करे बर मास्टर नहीं नइ काहय। अउ नहीं कहि दिस तौ फेर वो मास्टर नो हे। अउ ये सब करे के बाद म उपराहा म लइका मन के पढ़ई-लिखई, परीक्षा लेवई अउ बिगन फैल करे सब्बो झन ल पास करई।




अब हाई कोर्ट अउ सुप्रीम कोर्ट काहत राहय न मास्टर मन से गैर सिक्छकीय काम नइ लेना हे। कहि दिस। कोर्ट देखे बर थोरे आही के सरकार ओखर ले का का काम लेवत हे। वइसे तो हर डिपाट के करमचारी सरकार के नौकर होथे। फेर सरी काम ल सरकार मासटरेच मन ल काबर संउपथे? काबर के वो जानथे के मास्टर सब मन ले गरुवा होथे। कोनो काम बर आनाकानी नइ करय। अब तुही मन बतावव- “पढ़इया लइका मन के जाति, निवास अउ आय प्रमाण पत्र बनवाना, बैंक खाता खोलवाना, आधार कारड बनवाना; पटवारी, कोतवाल, पंच-सरपंच, तहसीली, लोक सेवा केन्द्र अउ बैंक के चक्कर लगाना का मास्टर मन के काम आय?”
इही पीरा धरे हे आजकल मास्टर-मास्टरिन मन ल। अउ काम मन तो कभू कभार अउ सीजन म आ के चल देथे। फेर जाति-निवास अउ आय-बकवाय (बैंक खाता) ह साल भर चलने वाला अउ हर साल के पीरा आय। कतका लक्छ हे , ये हप्ता कतका बनिस, कतका बांचे हे। कहाँ पेंडिंग हे, पेंडिंग हे ते काबर पेंडिंग हे? एकर हर हप्ता जानकारी दे। न इ ते तोर गर म कारवाही के तलवार गिरनेच वाला हे।
सरकार ह इस्थाई जाति प्रमाणपत्र के टारगेट पूरा करवाय बर मास्टर मन के इस्थाई पीरा के बेवस्था कर दे हे। अउ एती दुनिया ह मास्टर मन ल बदनाम करथे के मास्टर मन पढ़ाय-लिखाय नहीं। काहत राहव। अब मास्टर अपन पीरा ल कइसे बतावय?
तुही मन बतावव भइया!

दिनेस चौहान
छत्तीसगढ़ी ठीहा, सितला पारा,
नवापारा-राजिम।
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