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गोठ बात

प्रकृति के विनास

हमर भारत भुइंया ह संसार के जम्मो देस म अपन संस्कारअउ संस्कृति के सेती अलगेच चिन्हारी रखथे।हमन परकिरती के पूजा करइय्या मनखे अन।परमात्मा के बनाय रुख राई,नदीया,पहाड,जीव-जंतु,चिरई चुरगुन ल घलो हमन पूजा करथन।फेर धीरे-धीरे हमन ए सबले दूरीहावत हन।
जब ले मनखे ह मसीनी तरक्की के रसदा ल धरे हे ओला भोरहा होगे हे कि भुंईया म ओकर ले बडके कोनो नीहे।अऊ अपन इही भोरहा के सेती ओहा पिरथी के आने जीव जंतु मन के हक ल मारे बर घलो थोरको नी हिचकिचावत हे।लालच के भूत ओला अइसे पोटारे हे कि ओहा अपन हाथ म अपने बिनास करे बर तियार खडे हे।




आज जेती देख ओती पलास्टिक कचरा अउ झिल्ली के भरमार हे।एहा सरे के न घुनाय के।भुईंया महतारी बर एहा संउहत केंसर आय जेहा धीरलगहा ओकर कोख ल बंजर बनावत हे।इही कचरा ल खाके गऊ माता काल के गाल म समावत हे।सरकारी सिस्टम ह घलो एकर छेंक रोक बर पूरा मन से उदीम नी करय।दू चार दिन बने तनियाके भिडथे ताहने फेर हाल जस के तस हो जथे।
अऊ एकर रोकथाम बर सिरिफ सरकार ल काबर दोस देवन।ए हम सब के जिम्मेदारी आय के हमन कम से कम अउ हो सके तो सिरफे पलास्टिक के झिल्ली ल बऊरे बर छोड दन।
उही परकार ले हमर मनमाने लालच के सेती रुख राई ह रात दिन कटावत जावत हे।मनखे ह बडे बडे जंगल ल खेत-खार अउ घर-कुरिया बनाय बर उजार डरिस।सरकार के सरकारी वन अधिकार पट्टा पाय बर मनखे मन पूरा के पूरा जंगल ल काट डरिन अऊ सरकार ह आंखी मूंदके पट्टा बांटे म मगन हवय।वन अधिकार के ओखी म जंगल के सफाया होगे।
नदिया-नरवा के पानी म घर ले लेके फैक्टरी के गंदगी ल बोहावत हवय।जेकर सेती ओमा रह ईया जीव जंतु मन ह मरत जावत हे।एक समे म मनखे तरिया के पानी म अपन निस्तारी करय।अब ओमा आनी बानी के कचरा ल फेंक के पाटे के उदीम सबो जघा देखे पर मिलथे।
जंगली जीव जंतु मन के पराकिरतिक अवास सिरागे त ओमन ह मनखे के रहवासी इलाका म खुसर जथे अउ हर बच्छर कतको जान-माल के नुकसान करथें।छत्तीसगढ़ म तेंदुआ अउ जंगली हाथी के उत्पात ह अब आम बात होगे हे।




दिनों-दिन छत्तीसगढ़ के मौसम ह बिगडत जावत हे।धान के कटोरा कहावत हमर भुइंया ले साल पुट बरखा ह कम होवत हे।अउ इंहा गरमी ह दिनों दिन बाढत जावत हे।मौसम बिग्यानिक मन के मुताबिक छत्तीसगढ़ के जलवायु म बिचित्र बदलाव दिखत हे काहत हे।
ए सब हमरे गलती के फल हरे।जेकर बर हम सब जिम्मेवार हन।हम सब ल भुईयां महतारी के आरो लेय बर परही।परकिरती के जतन बर हम सब ल समिलहा उदीम करे बर लागही तब आने वाला समे ह हमर बाल -बच्चा बर सुख भरे हो पाही।

रीझे यादव
टेंगनाबासा(छुरा)