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कविता

पुन्नी मेला घुम आतेन

कातिक पुन्नी के मेला भराय
चल न मयारु घुमेल जातेन
भोले बाबा बर असनान करबो
फुलपान केला जल चढ़ातेन

लगे रथयं अब्बड़ रेला
दरस करके घलो आतेन
फोड़तेन नरियर अउ भेला
मनके मनौती मांग लेतेन

खांसर बईला म बईठके
होहो तोतो हांकत दउंड़ातेन
संगी जहुंरिया संग जोराके
महादेव घाट मेला जातेन

लाई मुर्रा चना फुटेना
खाय बर बिसाके लातेन
लाली लाली पढ़र्री खुशियार
चुहक चुहक के खातेन

आनी बानी के सजे दुकान
खोवा बतासा खरिदतेन
मजा लेबोन ढ़ेलवा रहचुली
संग बईठके झुला झुलतेन

घुमत घामत मजा लेवत
सांझ मुंदिहार घर लहुटतेन
बिसातेव तोर बर चिंन्हारी मुंदरी
पुन्नी मेला के सुरता करतेन!!

मयारुक छत्तीसगढ़िया
सोनु नेताम माया
रुद्री नवागांव धमतरी
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