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व्यंग्य

व्‍यंग्‍य : रावन संग भेंट

आज संझौती बेरा म दुरगा ठऊर म मिटिंग हावे किके कोतवाल हांका पारके चल दिस। जें खाके सब ला सकलाना हे। नी अवइय्या मन बर चार सो के दंड घलो राखे हे। जेला गराम बिकास म खरचा करे के बात हर मिटिंग म होथे। फेर ओला निझमहा देखके गांव के सियनहा मन ह सरकारी अनुदान कस निपटा देथे।
अब गांव ह तइहा कस कुंवा के पानी पियइय्या नी रहिगे हे। अब घरोघर नल लगे हे जेकर पानी ल जम्मो पिथंय। अब कुंवा बउली ह कचरा फेंके बर बउरे जाथे। स्वच्छ भारत अभियान चलत हे!! मनखे ह अपन घर ल साफ सुथरा राखके परोसीन के दुवारी म कचरा फेंके के मउका देखत रथे।
अब गराम विवरन ल छोंडके सीधा मिटिंग बिबरन म हबरथन। में ह हमर सीरिमती ल बतायेंव की में ह मिटिंग जावत हंव! त ओहा बगियागे। अउ झर्रावत किहिस-जाना ग!तोरे मुंड म तो गांव के बोझा हे। तेंहा सेसनाग बरोबर गांव ल संभाले हस!तें हा नी जाबे त सबो खपला जाही। में ह ओकर गोठ ल सुनके ताकत भर तनियांयेव-ले नी जांव!! ताहन मोर ससुर ह चार सो के दंड भरे बर आही। काली बिहाने मिसकाल मार देबे!
अतका सुनके ओकर एंडी के रिस तरवा म चढगे। ओहा हर्रस ले कुरिया के कपाट ल देवत कथे-हमर ददा ल झन उपट! जा रात भर मिटिंग म रेहे रा!अउ धडाक ले कपाट बंद!!!में ह मौका-ए-वारदात ले खसके म अपन भलई मानेंंव।
अउ घर ले सीधा दुरगा ठऊर म पहुंचेव। चोंगी माखुर के बाद मिटिंग चालू होगे। रजिस्टर खुलगे। इसकूल कस हाजरी सुरू-फलाना ठाकुर आय हो का जी?ढेकाना मंडल!!
हाजरी होइस ताहने पटइल बबा ह बीडी सिपचावत बात रखिस-एसो के रावन मारे बर कइसे करबो जी?अतका सुनके एकझन टुरा ह दारू के निसा म लटपट खडा होके कथे-कका….ए क..का…! पहिली मारन तइसनेच मारबो क गा ;समिलहा!नी सकन कहू त हम अकेल्ला रावन ल झेल देबो!!अतका काहत ओहा मुडभरसा गिरगे। ओला अबक-तबक पानी पिया के घर भेजवइन। ताहने दूसरा खडे होगे। ओहा काहत राहय-ए बखत मोला चांस देतेव का ददा हो!मोला ननपन ले रावन मारे के साध हे फेर का करबे?गरीबी म आंटा गिल्ला हे। पोगरी खरचा म रावन मारे के ताकत नीहे। मोर कना अधार कारड अउ रासन कारड के फोटूकापी घला हे। कनो रावन मारे बर लागत होही त!
उंकर गोठ ल सुनके पटइल बबा माथा धरलिस। फेर किहिस-हव ददा!जइसन सकव तइसन मारव। फेर पहिली रावन ल तो बनन दव ददा!ओकरे इंतजाम बर तो मीटिंग सकेले हन ग!
बात ल लमात ओहा ओरयइस-पाछू साल कतेक खरचा आय रिहिस ग!रावन समिति वाला मन बतावव!
एला सुनके रावन समिति के अघुवा जेठू ह बताइस। पाछू साल रावन बर दू हजार निकाले रेहेव ग!जेमा एक हजार माल-मटेरियल अउ बचत ह फटाका गोंजे म उरकगे। थकौनी बर चवन्नी नी बांचिस। एसो के रावन ल कोनो दुसर मनखे ल बनाय बर काहव।
अतका सुनके मिटिंग म चिंव-चांव सुरू होगे। कतको जेठू के समरथन करत काहत राहय-रावन बनाना नानमुन बात नी होवय ददा!थकौनी खरचा अलग से देना चाही।
जादा के चिंव चांव ल सुनके पटइल सबो ल चुप कराइस अउ कथे। कइसनो करके रावन तुंहीच मन बनावव ददा!एको दू सौ उपराहा लेलो अउ फटाका ल एसो कम डार देहू।
लटपट म रावन समिति के मुखिया जेठू ह मानिस अउ ओला खरचा बर बाईस सो रूपिया गांव के फण्ड ले देइन ताहने मिटिंग उसलगे। मिटिंग उसले के बाद जेठू कका ह मोला आके कथे-एसो के रावन ल हमन तोर अगवानी म बनाबो बेटा!फेर हर साल मुडी ल तो तंहीच बनाथस। ले पइसा ल राख किहिस अउ चलते बनिस।
घर आवत ले रात के बारा बजगे। मोर सिरीमती अउ लइका मन सुतगे रिहिन। धन तो रिस के मारे संकरी नी लगाय रिहिस कपाट में। में ह कलेचुप गेंव अउ रावन बनाय के स्कीम बनावत ढलंग गेंव। थोरिक देर म नींद परगे।
ही…ही…हा….हा….अरे दुस्ट मानव!तें सुत गेस?मोर कान म काकरो अवाज आइस त हडबडा के उठ गेंव। आंखी उघरिस त देखथंव बडे बडे लाम -लाम मेछा वाला रावन हमर घर के कोटना उपर म बइठे राहय। मोला डर के जघा म बड अचरित लागिस। में ह ओला परनाम करत कहेंव-परम परतापी राजा रावन ह आज हमर घर कोती कइसे आगे भई!!का होगे लंकापति !तहुंमन परधानमंतरी आवास जोजना म पक्का बिल्डिंग बनाय खातिर अपन कुंदरा ल उझार डरे हव का?मोर गोठ ल सुनके ओहा भडक गे। ओहा कथे-हम लंकापति हरन। महल म रहिथन !तुंहर कस अवास जोजना के लालच म अपन घर कुरिया ल नी उझारन। में तुरते थूथी कहेंव अउ पूछेंव-त दसराहा के पहिली कइसे दरसन दे देव भई?
लंकापति किहिस-आज काली मोर नाम ल भारी बदनामी होवत हे। तुंहर भुइंया के मनखे मन साधु के भेस धरे मनखे ल रावन हरे काहत हे। ओ पापी मन ह मोर नांव ल फोकट म बदनाम करत हे। साधु के भेस धरके ओमन नाना परकार के पाप करत हवय। अइसन म तो धरमी चोला मन के साधु संत ऊपर ले बिस्वास खतम हो जही!
लंकापति के गोठ ल सुनके में हा ओला तुरते जुवाब देंव-साधु के बाना
धरके ठगे के परंपरा ल तो तिंही सुरू करे रेहेस का?सुरता करव; सीता माता ल का रूप धर के हर के लेगे रहेव।
मोर गोठ ल सुनके लंकापति गीज ले दांत ल निपोर दिस अउ चेथी खजुवावत कथे-ओ तो परभु के लीला रिहिस। मानुस ल धरम के रद्दा देखाय बर। हम थोरे जानत रेहेन जी!मनखे ह परभु के रद्दा ल छोंडके मोर रद्दा ल धरही कइके।
फेर एक ठन बात ह मोला बिकट दुख देथे जी!-रावन राजा किहिस। में ह पूछेंव-का बात ह लंकापति?ओहा किहिस -जब राम के संग बैर करे ले मोर असन पापी के सद्गति होगे त कलजुग म जनम धरे पापी मन जगत के स्वामी राम के नांव धरा के ओकर नांव ल काबर बोरत हवय।
में ह पूछेंव-काकर गोठ गोठियावत हव लंकेस!! ओहा किहिस-उही जेकर नाम तुंहर भारत भुंइया म बिकट चलत हे। का कथे….रामपाल..आसाराम…अउ एक झन डेरावाला राम रहीम।
थोरिक रूक के रावन ह रोवासी बरन मुंहू बनाके कथे-मोर नांव के बदनामी ह तो चलबे करही काबर कि में ह करम अइसे करे रेहेंव। फेर मरजादा पुरुसोत्तम राम के हिनमान ए कलजुग म काबर होवत हे?
रावन राजा के गोठ सुनके मोर मुंहू ले बक्का नी फूटिस। मोर मुंहू ले गोठ नी निकलिस त ओहा फेर पूछथे-चउदा बछर के बनवास भोगके मनखे ल जिनगी जिये के रद्दा देखइया परभु ह अब मजाक के बिसय होगे हे। तुंहर कलजुग के टुरी-टुरा मन ह मोर परभु के मजाक बनाके मुबाईल म भेजत रहिथे। का एहा बने बात आय।
हर बच्छर दसराहा के दिन मनमाने अकन लकडी अउ फटाका जलाके परयावरन के बिनास करत हव। ए बने हरे?
कतको अकन के भरस्टाचार करइय्या नेता मन मोला लेसे बर आथे। का ए बने बात हरे!
दारू-मंद पीके राम के रूप धरके मोला आगी लगाना सोभा देथे?
मोला मारे बर परभु ल अपन धन-दोगानी, माया-मोह ल छोडे बर परे रिहिसे। जंगल के कांटा खूंटी गडत, कांदा-कूसा खावत दिन काटे ल परिस।
जब तक मनखे के भीतरी के लालच, वासना अउ घमंड ह जिंयत रही, में ह उही रूप म रहूँ। मोला कोनो नी मार सकय!
मंदहा-दरूहा, ब्यभिचारी, घमंडी, लालची मनखे मन मोर तीर म झन आवव!
मोर परभु राम के छोंड कोनो ल मोला मारे के हक नीहे!
अइसने काहत ओहा अंतरधियान होगे। में ह काहतेंच हंव-हमर से गलती होगे लंकापति!हमला छिमा करव। हांथ पांव जोरे ल धरलेंव। ताहने मोर सिरीमती मोला हेचकारत उठाइस अउ कथे-बइहा गे हस का ओ!का लंकापति-लंकापति काहत हस। मोर सुध अइस ताहने मुंहू धोके तुरते जेठू कका कना गयेंव अउ कका के हांथ म पइसा धरावत केहेंव-मोला रावन मारे के हक नीहे कका!छिमा करहू।

रीझे यादव
टेंगनाबासा (छुरा) 493996