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रोला

छन्द के छ : रोला छन्द

मतवार

पछतावै मतवार , पुनस्तर होवै ढिल्ला
भुगतै घर परिवार , सँगेसँग माई-पिल्ला
पइसा खइता होय, मिलै दुख झउहा-झउहाँ
किरिया खा के आज , छोड़ दे दारू-मउहाँ

रोला छन्द

डाँड़ (पद) – ४, ,चरन – ८
तुकांत के नियम – दू-दू डाँड़ के आखिर मा माने सम-सम चरन मा, १ बड़कू या २ नान्हें आवै.
हर डाँड़ मा कुल मातरा – २४ ,
यति / बाधा – बिसम चरन मा ११ मातरा के बाद अउ सम चरन मा १३ मातरा के बाद यति सबले बढ़िया माने जाथे, रोला के डाँड़ मा १२ बड़कू घला माने गे हे ते पाय के १२ मातरा या १२ ले ज्यादा मातरा मा घला यति हो सकथे. एकर बर कोन्हों बिसेस नियम नइ हे.
खास- डाँड़ मन के आखिर मा १ बड़कू या २ नान्हें आना चाहिए

पहिली डाँड़ (पद)

पछतावै मतवार – पहिली चरन (१+१+२+२)+(१+१+२+१) = ११
पुनस्तर होवै ढिल्ला – दूसर चरन (१+२+१+१)+(२+२)+(२+२) = १३

दूसर डाँड़ (पद)

भुगतै घर परिवार- तीसर चरन (१+१+२)+(१+१)+(१+१+२+१) = ११
सँगेसँग माई-पिल्ला – चउथा चरन (१+२+१+१)+(२+२)+(२+२) = १३

बिसम चरन के आखिर मा पहिली डाँड़ मा (“वार”/ “वार”) माने बड़कू,नान्हें (२,१) अउ सम चरन के आखिर मा दूसर डाँड़ मा बड़कू आय हे.

तुकांत– दू-दू डाँड़ के आखिर मा माने सम-सम चरन मा (ढिल्ला / पिल्ला) आय हे.

अरुण कुमार निगम
एच.आई.जी. १ / २४
आदित्य नगर, दुर्ग
छत्तीसगढ़