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छ्न्द बिरवा : नवा रचनाकार मन बर संजीवनी बूटी

चोवाराम वर्मा “बादल” जी के “छ्न्द बिरवा” पढ़े बर मिलिस । एक घव मा मन नइ माढ़ीस दुबारा पढ़ डारेंव। सिरतोन म अतका बढ़िया छन्द संग्रह हवय येकर जतका प्रसंशा करे जाय कम हवय । अब के बेरा म अइसन लिखइया आगे हवय जिंकर किताब ल पढ़ना तो दूर पलटाय के भी मन नइ होय अइसन बेरा मा बादल जी ल पढ़ना सुखद अनुभव रहिस । सबो छ्न्द विधान सम्मत, व्याकरण सम्मत हवय । अनुस्वार अउ अनुनासिक के बहुत ही बारीकी से प्रयोग बादल जी करे हवय । शब्द चयन सटीक अउ अर्थपूर्ण हवय। छत्तीसगढ़ी के नवा रचनाकार मन दिशाहीन अउ उत्ता धुर्रा लिखइच बुता करत हवय उँन ला मोर सलाह हवय के ये संघरा ल जरूर पढ़य अउ गुनय कि लेखन कइसे करे जाथे।
बादल जी के किताब म मात्रिक अउ वार्णिक मिलाके लगभग 40 किसिम के छ्न्द मिलथे। शुरूच म मात्रा विधान दे हवय संगे संग प्रत्येक छ्न्द मा लिखे के पहिली वो छ्न्द के विधान ल घलो दे गे हवय जेकर ले पाठक छ्न्द पढ़े के बाद समझ भी सकथे कि छन्द ला कइसे लिखे गे हवय । छन्द बिरवा म प्रयोग करे शब्द मन पोठ दाना आय जेन छत्तीसगढ़ी के मानकीकरण के बेरा म काम आही अइसे मोर मानना हे । वर्णमाला के जम्मो 52 वर्ण के प्रयोग बादल जी करे हवय जो कि पूर्णतया उचित हवय। संघरा म एक डहर जिहाँ पौराणिक, ऐतिहासिक, प्रकृति अउ लोक परम्परा ल विषय बना के छ्न्द लिखे गे हवय उँहे दूसर डहर नवा जमाना के समसामयिक विषय बेटी बचाव,स्वच्छता,दहेज,मृत्युभोज, प्रदूषण,नशा ऊपर घलो सारगर्भित छ्न्द हवय। गाँव गँवई के नँदावत ठेठ देहाती शब्द मन ल बादल जी ज्यों के त्यों प्रयोग करे हवय जेकर ले छ्न्द के सौंन्दर्य बाढ़गे हवय।

छ्न्द बिरवा म दोहा,सोरठा,रोला,कुण्डलिया, अमृतध्वनि, उल्लाला,छप्पय,रूपमाला,शोभन,गितिका चौपाई, चौपई, सार,आल्हा,त्रिभंगी,ताटक, सरसी सहित कुल 22 मात्रिक छ्न्द हवय। वार्णिक छ्न्द म 18 प्रकार के सवैया अउ घनाक्षरी छ्न्द हवय। अंत म कहमुक़री हवय। छ्न्द बिरवा ह छत्तीसगढ़ी म नवा आयाम गड़ही येमा रत्ती भर संदेह नइ हे । बादल जी लिखे छ्न्द मन उत्कृष्ट अउ कालजयी होही । ये किताब हा छत्तीसगढ़ी म छ्न्द लेखन के परंपरा ल पोठ करही अउ नवा रचनाकार मन बर संजीवनी बूटी सही काम करही ।

अजय “अमृतांशु”
छ्न्द संग्रह : “छ्न्द बिरवा”
लेखक : चोवाराम वर्मा “बादल”
प्रकाशक : आशु प्रकाशन
मूल्य : 150/-
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