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व्यंग्य

छत्‍तीसगढ़ी व्‍यंग्‍य : सेल्फी कथा

जब ले हमर देस म मुबाईल सुरू होय हे तब ले मनखे उही म रमे हे।पहिली जमाना म मुबाईल ल सिरिफ गोठ बात बर बउरे।फेर धीरे धीरे एमा आनी बानी के जिनिस हमावत गिस।फोटू खींचे बर केमरा,बेरा देखे बर घडी,गाना सुने बर बाजा,अउ ते अउ फिलीम देखे के बेवस्था घलो इही म होगे।एकर आय के बाद कतकोन मनखे मोटर गाडी म झपा के मरगे।आधा बीता के मुबाईल ह छे फिट के मनखे ल नचावत हे।पहिली के मुबाईल ह गरीबहा टाईप रिहिस बटन वाला ।
फेर जब ले मनखे ह कोढिया अउ परबुधिया होय हे फोन ह स्मार्ट होगे हे।मनखे ल बटन चपके म घलो परसानी लागत हे।अतेक अलाल होगे हे आज के मनखे ह की हर काम ल ओहा छूए भर म निपट जाय सोंचथे।
फोन कंपनी वाला मन अगमजानी बरोबर यहू बात ल जान डरिन अउ टच स्कीरीन वाला फोन बजार म उतरगे।
जब ले हमर देश म मुबाईल नांव के बिमारी संचरे हे,आनी-बानी के फेसन चालू होय हे।मिसकाल,मेसेज,चारजर,इयरफोन जइसे कतको नवा शब्द हमर जिनगी म हमाइस।हम धन्न होगेन!हमर ददा,बबा अउ जम्मो पुरखा तक ल एकर गियान नी रिहिस जी!जे आज हमर-तुंहर कस भागमानी मन तीर हबरे हे।




जेला देख तेहा आनी-बानी के मुंहू मटकावत अपन सेल्फी लेवत हे।बेंदरा कस मुंहु वाला टुरा मन कान म इयरफोन गोंजे अपन बोचकू पेंट ल संभालत मनमाने गोठियाय म माते हे।नोनी मन घेरी-बेरी बेलेंस कारड मंगा के घंसरत हे।मनखे के बात-बेवहार बदलगे।अब के सगा-सोदर ल पानी नी लागे।सब बिसलेरी धर के घूमत रहिथें।बस!ओकर आंखी ह चार्जर कोचके बर पलग खोजत रहिथे।ओला चार्जर ल देदे अउ कोचके के ठिहा ल बतादे।बिकट खुश हो जथे बपुरा मन।बाद में चाय-पानी बर नी पूछबे तभो चलही।
> परसंग मुताबिक सेल्फी कथा म चलथन।आज सेल्फी के बड चलन हे। अपन मुंहरन-गडहन म मोहाय मनखे बेरा-कुबेरा,रात-दिन,आठोकाल,बारो महिना सेल्फी ले म मगन हे।हमुं ल साध लागथे त सेल्फी लेथन ,फेर गरीबहा फोन के मरझुलहा केमरा म बने सेल्फी नी उतरे।एक दिन के गोठ हरे।चूंदी म मनमाने तेल ओंगके अपन सेल्फी लेएंव अउ सिरीमती ल देखाएंव।;मोर सिरीमती माने खिल्लू के दाई ह मोर सेल्फी हरे कइके बताय नी राहंव ओकर पहिलीच कथे-आनी-बानी के बेंदरा के फोटू तीरथस ग!अब बताव भला!!अतिक बड सम्मान मिले के बाद सेल्फी लेय के ताकत पूरही का!
संसार म रंग-रंग के सेल्फी लेवइय्या हे।कोनो रेल के आगू म सेल्फी लेवत हे त कोनो बइहा पुरा आय नंदिया के तीर म खडे होके सेल्फी लेवत हे।अब अइसन अतलंगहा मन ल कोन बरजे?उंकर भलई खातिर कहीं बोल देस त चबराहा कुकुर बरोबर लहुटथे।सीधा एके जुवाब-तोर बाप के का जाथे?हमर फोन,हमर थोथना।तोर का पिराथे?अब ओला कइसे समझावन कि फोन तोर हरे।फेर बइहा पुरा आय नंदिया घलो तोर थोरे हरे!तोर सेल्फी लेय म हमर कुछु नी जाय।फेर कहीं अलहन होगे त तोर बाप के दुलरवा ह जात रही।
हमर देस के मनखे नकल उतारे म अघवा हे।नकल उतारे म थोरको अकल नी लगावय।बिदेस के मनखे सेल्फी उतारे बर आनी-बानी के उदीम करथे।एक से बढके एक खतरनाक सेल्फी लेके अपन शेखी बघारथे।रुख-राई,डोंगरी-पहाड,नंदिया,टावर,पुल,घर-कुरिया सबो जगा सेल्फी लेवत रहिथें।फेर उंकर बात आन हे जी,ओमन अपन घर के खरचा खातिर खुरचत हमर-तुंहर कस गरीबहा नोहे।उंकर पुरखा उंकर मन बर मनमाने संपत्ति बनाके गेहे त एलहन-बेलहन उदीम करत रहिथे।




फेर तें अपन आप ल देख!तैं अपन दाई -ददा के आँखी के अंजोर हरस।अपन लोग-लइका अउ परवार के सहारा।फेर सेल्फी खातिर परान देय के उदीम काबर?
सेल्फी के चलन ह मानवता ल लजलजहा कर देवत हे ।नेता मन अकाल के मारे फांसी अरोवत किसान के रोवत परवार के संग
सेल्फी लेवत हे त समाज सेवा के नंगाडा बजइय्या मन अनाचार के शिकार नोनी संग सेल्फी लेवत हे।डोकरा नेता मन जवान हीरवइन संग सेल्फी लेय म मगन हावय।
ओ दिन तो वाटसप म एक झन के सेल्फी ल देखेंव त करेजा फाटगे।एक झन मनखे ? ह मुर्दा के आगू म दाँत निपोरत सेल्फी लेवत राहय।पाछू म उंकर परवार ह कलप-कलप के रोवत राहय।वाह रे सेल्फी!!दुनिया वाला मन ल देखाये बर सेल्फी लेवइय्या हो अइसन करम करके ऊपरवाला ल का मुँहू देखाहू।थोरिक सोचव!!
सेल्फी लेना हे त कोनो भूख मरत ल खवाये के बाद,कोनो रोवत ल हँसाये के बाद अउ कोनो बिपत म परे मनखे ल बिपत ले निकारे के बाद सेल्फी लेवव।गउकिन सिरतो काहत हंव दुनियावाला मन के संगे- संग ऊपरवाला के लाईक मिलही।

रीझे यादव
टेंगनाबासा (छुरा) 493996
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