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कविता

सेल्फी ले ले

नवा चलागन चले है संगी,
जेकर चरित्तर काला बतांव,
कोनो बेरा अउ कोनो जघा मैं
सेल्फी ले बर नइ भुलांव।
छानी में बइठे करीया कउवा के संग में,
कचरा फेके के झऊहा के संग में,
दारू भट्ठी में पउवा के संग में,
चाहे कोनो पकड़ के भले ठठाय,
फेर सेल्फी लेय बर नइ भुलाय।

चाहे घुमत राहंव मेहा जंगल झाड़ी,
चाहे गे राहंव मेहा आंगन बाड़ी,
चाहे चलत राहय रेलगाड़ी,
मैं पटरी में कट के भले मर जांव,
फेर सेल्फी लेय बर नइ भुलांव।

तुरते जन्मे टूरा के संग में,
दाड़ी बनाय के छुरा के संग में,
नदिया नरवा में पूरा के संग में,
चाहे धारे धार भले बोहांव,
मैं सेल्फी लेय बर नइ भुलांव।

धर्मेन्द्र डहरवाल “मितान”
सोहागपुर जिला बेमेतरा