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गोठ बात

सेंदुर के रंग नीला

छत्तीसगढ़ मा सनातन धरम के मनाइया माईलोगिन मन मांग भरथे। बिहाव होय दीदी, बहिनी, महतारी मन के चिन्हा आय मांग के सेंदूर। सेंदूर लाल रंग के होथे।कहे जाथे एला हरदी, चूना अउ मरकरी , गुलाब जल मिलाके बनाय जाथे। एक कमीला नांव के पेड़ के फर ले घलाव सेंदूर निकलथे। इही ल बिहाव के पाछू अपन मूंड़ मा बीच मांग मा ओ माईलोगिन मन भरथे, जेकर गोसाइया जीयत रथे।मानता हवय कि अपन गोसइया के उमर बढ़ाय बर एला करे जाथे। सीता माता बनवास के बखत कलीमा पेड़ के फर के सेंदूर मा मांग भरय।फेर आज सेंदूर लगइ अउ मांग भरइ ल फैसन बना डरीन। अब नउकरहीन लागे न बिन नौकरी वाली सबोमन आनी बानी के चूंदी कोरथे, टेड़गा बेड़गा मांग निकालथे अउ मांग ल भरय नहीं आगू मा थोकिन चिन्हा लगा लेथय।अब तो सुक्खा सेंदूर कमती लगाथय। कहे जाथे ये सब टीवी सीरियल के परभाव आय। वहू मा ठीकेच हे फेर अब इही टीवी सीरियल मा सेंदूर के रंग लाल के जगा नीला करे जात हे । मै एकठन सीरियल मा देखेंव ते अकचकागेंव।सोचेंव एक दिन अइसनो भी आ सकत है कि सेंदूर के रंग फैसन के हिसाब ले माईलोगिन मन करिया, हरियर, गुलापी, पिंवरी , सादा कर देहीं। एकर बर कोनो टोकहीं तब ओला अधिकार के हनन कहिके झगरा करा देहीं। टीवी अउ बिदेसी मन के संउख ले हमर संस्कृति के रक्छा हमर दीदी ,बहिनी, महतारी मन ल करेबर परही। ओकर बर तुमन आगू आवव।

हीरालाल गुरुजी “समय”
छुरा,जिला- गरियाबंद
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