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कविता

शिक्षाकर्मी के पीरा

महिमा गुरू के हावय महान
काबर हमन हन अनजान
जाड मा संगी झन खावा खीरा
कोन समझ हि शिक्षाकर्मी के पीरा
एहा जम्मो बुता करे
बुता करके बिमार परे
नई करय कोनो काम अधुरा
कोन समझ हि शिक्षाकर्मी के पीरा
आगे चुनाव अउ जनगणना
एखर होगे अब तो मरना
आदेश ला एहा पुरा करहि
ततो एला रोटि मिलहि
मंहगाई के जुग मा
तडपत हावय भुख मा
एला देवा वेतन पुरा
कोन समझ हि शिक्षाकर्मी के पीरा
वेतन एखर जब मिलहि
परिवार के चेहरा तब खिलहि
उंट के मुंह मा जइसे जीरा
कोन समझ हि शिक्षाकर्मी के पीरा

कोमल यादव
मदनपुर ,खरसिया