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गीत

सुकवा कहे चंदा ले

Lalkar-1सुकवा कहे चंदा ले गांव-गंगा नइ दिखे
चोला चिटियाएहे, मन चंगा नइ दिखे
खुमरी नंदागे कहॉं, खुरपा नइ दिखे
खार सिरागे कहॉ, करपा नइ दिखे
बिलासपुर म जइसे अरपा नइ दिखे
सुकवा कहे चंदा ले गांव-गंगा नइ दिखे

खांसर नंदागे, दमांद आवै दुलरू
बईला के गर म बाजे झूल घुंघरू
नंदिया तीर बंसी बाजे उही बेरा म
राग बखरी ह छेड़े कुऑं – टेड़ा म
मुटियारी खोपा म वो दावना नइ दिखे
सुकवा कहे चंदा ले गांव-गंगा नइ दिखे

कोठार नंदागे, कोठा नइए लछमी
अगोरत राहे दूध, दही, कोरनी
नांगर – बक्खर छूटगे, घांटी छुटगे
दंउरी बईला संग उलान – बांटी छुटगे
“ओहो-तोतो-तोतो” के ढंगा नइ दिखे
सुकवा कहे चंदा ले गांव-गंगा नइ दिखे

लोक नाथ साहू ‘ललकार’