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कविता

सुन तो भईरी

अई सुनत हस का भईरी,
बड़े बड़े बम फटाका फुटीस हे I
येदे नेता मन के भासन सुनके
कुकुर मन बिकट हाँव हाँव भूकिस हे I

पंडरा ह करिया ल देखके,
मुंहूँ ल फूलोलिस I
कीथे मोर अंगना में काबर हमाये,
आय हाबै चुनई त,
खरतरिहा बन बड़ रुवाप दिखायेस I

सिधवा कपसे बईठे रिहिस,
कीथे, मिही तांव मुरख अगियानी,
तुहीमन तांव ईहाँ के गियानी धानी I
मंद के मरम ल में का जानव,
तलुवा चाटे के काम हाबै मोर पुरानी I

कोन जनी काय पाप करे रेहेंव,
चारों खूंट अंधियार म डूबत हंव I
जिहां रिहिस चिरईजाम, आमा के रुख,
छईहाँ कहाँ नदागे कीके गुनत हंव I

अई सुनत हस भईरी,
परीक्षा में कोन होही पास,
अऊ कोन होही फेल I
काकर घर भाई भाई में मातही झगरा I
कोन ह दिही चुनई के बिहान दांड़ तगड़ा I

छिनार ह सुनत नींये,
मिहिच मिही ह गोठियात हंव I
मुहाटी में बईठे हे कीके,
चुनई के किस्सा सुनात हंव I

अतका सुन भईरी के मुंहू बिचकगे,
सूपा ल भर्रस ले पटक के I
कंझावत मोर उपर उमड़गे,
किरहा नेता मन ल मोर हंसी खुशी नीं देखे जात हे I
मोरे सास ल मोरे खिलाफ भड़कात हे I
अईसन काय चुनई ये चंदोर,
घरों घर भाई भाई अऊ सास बहू ल लड़ात हे I

विजेंद्र वर्मा अनजान
नगरगांव(धरसीवां)