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कविता

सुआ नाचेल जाबो

सुआ नाचेल जाबो संगी
चलो सुआ नाचेल जाबो
तरी हरी मोर सुअना
नहा नरी नहा न गाबो

संगी संगवारी जुर मिलके
माटी के सुआ बनाबो
माटी के सुआ शोभा बरनी
हरियर रंग म रंगाबो

सखी सहेली टोली बनाके
चलो सुआ नाचेल जाबो
तरी हरी मोर सुअना
नहा नरी नहा न गाबो

एके रंगके झम्मक लुगरा
पहिरके नाचेल जाबो
घर अंगना अउ पारा मोहल्ला
सुआ नाच ल देखाबो

सुआ नाचत गीत गा गाके
ताली थपती ल बजाबो
तरी हरी मोर सुअना
नहा नरी नहा न गाबो!!

मयारुक छत्तीसगढ़िया
सोनु नेताम “माया”
रुद्री नवागांव धमतरी
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