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गोठ बात

देवारी तिहार संग स्वच्छता तिहार

आप सबो झन जानथव हमर छत्तीसगढ़ मा बारो महिना तिहार होथय।संगे संग उपास धास, नवरात्रि, गनेस आनी बानी के उछाह। फेर देवारी तिहार के महत्तम अलगेच हावय।कातिक महिना के तेरस ले सुरु होके पांच दिन तक मनाय जाथे।कहे जाथे देवारी तिहार ह भगवान राम के सीता संग अजोध्या लहुटे के खुसी मा मनाय जाथे। छत्तीसगढ़ कौसिल्या माता के मइके अउ रामजी के ममागांव आय।तेकर सेती इहां जादा उछाह ले मनाथे।अइसे देवारी तिहार पांच दिन के कहिथे।फेर एकर तियारी 15 दिन पहिली सुरु हो जाथे। कहे जाथे लछमी माता ह दरिद्र घर अउ गंदा जगा मा नइ जाय। एकरे सेती सबो घर मा देवारी के पहिली अरोस परोस के बन बक्खर ल चतवारथे। घर के ओन्हा कोन्हा (ओन्टा कोन्टा) ल साफ सफई करथे अउ लिपथे पोतथे।जुन्ना पुराना टूटे फूटे जिनीस , बिगड़हा उपरहा जिनिस, सब के सफई देवारी मा होथे। स्वच्छता अउ देवारी के नत्ता सुघ्घर हे।जब तक अरोस परोस, घर कुरिया के साफ सफई नइ होही तब तक तिहार के उछाह नइ होय।बड़हर होय कि गरीब सब अपन सक्ति उपर भक्ति करथे। स्वच्छता मा सिरिफ घरेच सफई नइ रहय। ओढ़े जठाय के कथरी गोदरी, परदा ,सजावटी जिनिस , दीवान आलमारी, सोफा टेबल सब के साफ सफई करे जाथे।स्वच्छता अतकी मा नइ रुकय।देवारी तिहार बर लछमी पूजा के दिन नवा कपड़ा पहिर के पूजा करे के उदिम करे जाथे।जौन नवा कपड़ा नइ बिसार सकय ओमन अपन जुन्ना कपड़ा ल उजरा के पहिर के पूजा करथे।पांच दिन ले अंगना ल गोबर मा लीपे के उदीम करथे। जौन जगा मेर पूजा करे जाथे ओ जगा के स्वच्छता के जादा धियान रखे जाथे।अइसनेच पूजा मा लगइया जिनीस, मिठई, फर, खाय पिये के जिनिस, दूध दही , के स्वच्छता के धियान रखेबर परथे।कुल मिलाके देवारी तिहार स्वच्छता के तिहार आय। फेर आज के पढ़े लिखे मनखे अउ परिवार कहाने वाला मन चाहे वो पइसा वाला होय कि नउकरिहा, तिहार मा साफ सफई ल पइसा खर्चा बताथे। तीन चार बच्छर मा एक घांव लिपई पोतई कराथे अउ कहात रथे हमर उपर लछमी माता के किरपा नइ होवत हे।घर के अंगना अब कंक्रीट अउ टाइल्सवाला हो गे हावय।गोबर मा लिपे के जरुरत नइ परय। सबले जादा पढ़े लिखे पीढ़ी मन एला मानय नहीं अउ साल भर लछमी बर रोवत रथे।बड़े बड़े अस्पताल, इस्कूल, मंदिर देवाला जिहां स्वच्छता उपर जादा धियान देय जाथे एकर सबले बड़का परमान आय।जौन परिवार अपन घर ल देवारीच तिहार मा ही नहीं सबर दिन स्वच्छ राखही ओकर घर मा लछमी माता के किरपा जरुर बरसही।स्वचछता अपनाव देवारी मनाव किरपा पावव।

हीरालाल गुरुजी “समय”
छुरा, जिला- गरियाबंद
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