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कविता

रहचुली

मेला म लगे हे रहचुली तरी ऊपर घूमत सहेजे रहचुली चेंवचेंव चेंव नरियावत हे रहचुली बाबू, नोनी सबो ल बलावत हे रहचुली पईसा म झूले बर बइठाए म रहचुली आ रे टुरा झूल ले, कहिथे ये रहचुली मीत-मयारू के मया ठउर ये रहचुली आमा के ममहावत मऊर ये रहचुली जिनगी के संसो-पीरा मेटाथे ये रहचुली […]

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आम आदमी

आम आदमी के का औकात हे ओखर बर मंहगाई हे गरीबी, रोग-राई हे दु:ख के दुनिया हे झुग्गी, अऊ कुरिया हे खैराती अस्पताल हे न दवई, न डॉक्टर, खस्ता हाल हे राशन दुकान हे न कोनो समान हे इसकुल हे लईका के भीड़ कोरी खईरखा के नईए गुरुजी पढ़ई नइ हाय हे शुरूजी थाना म, […]