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गोठ बात

देवी देवता के पूजा इस्थान म होथे मड़ाई

गांव-गवई म मेला मड़ाई के बढ़ महत्व हे, गांव के देवी-देवता के पूजा-पाठ कर के ओला खुशी अउ उल्लास के संग मड़ाई के रूप म मानथे, गांव-गांव म मड़ाई-मेला के अपन अलगेच महत्व रहिथे, मड़ाई मेला ह हमर छत्तीसगढ़ी संस्कृति म परमुख इस्थान रखथे , जेन ह परमुख रूप ले आदिवासी देवी-देवता मन के पूजा […]

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कविता

मोर गांव गवा गे

अब कहा पाबे जी? जुन्ना गांव गवां गे। बिहनिया के उगती सूरज, अउ संझा के छाव गवां गे। दाई के सुग्घर चन्दा लोरी, लईका के किलकारी गवां गे। माटी के बने घर कुरिया, अंगना के नाव गवां गे। बखरी म बगरे अमली-आमा के रूख सिरागे। गाय-गरुवा ह किंजरत हे रददा म, अउ कुकुर ह घरो-घर […]

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गोठ बात

छत्तीसगढ़ म छत्तीसगढ़ी भाखा के नइ होत हे विकास

अठ्ठारा बछर होगे हे, हमर छत्तीसगढ़ राज ल बने, अउ दस बछर होवत हे छत्तीसगढ़ राज भासा आयोग ल बने। तभो ले अभी तक छत्तीसगढ़ी भाखा के कोनो विकास नइ हो पाये हे, कतको जघा मनखे मन ये नइ जान सके हे कि छत्तीसगढ़ी ह बोली आए के भाखा। आजो तक ले कतको मनखे मन […]

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गोठ बात

महानदी पैरी अउ सोढुर तीनो के मिलन इस्थान म लगथे राजिम मेला

तीन नदी के बने पुनय संगम इस्थल राजिम दाई के धाम ह महानदी पैरी अउ सोढुर नदी छत्तीसगढ़ के तीरथ इस्थान कहाथे। जेमा हर बछर माघी पुन्नी म कुलेश्वर महादेव के मंदिर मेर महाशिवरातरी के बेरा म बड़का मेला भराथे। जेन ह अभी के आने वाला समय म कुंभ के बड़का रूप धर ले हे। […]

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गोठ बात

सुक्खा पर गे बेलासपुर के दाई अरपा

बेलासपुर के बिकास के धारा म कुछु छूट गे त ओ हवय अरपा नदी, जो ह बेलासपुर ल जीवन देवइया दाई के बरोबर हवय, कई बछर बीतिस अउ बछर के संगे-संग बेलासपुर सहर म थोरकिन बदलाव घलोक आईस, फेर अरपा नदी म कोनो देखे लइक बदलाव नई आइस, अरपा ह जइसन पहली रहिस, वइसने अभी […]

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गोठ बात

हमर संस्कृति म भारी पड़त हे मरनी भात खवाना

हमर देस म सांस्कृतिक परम्‍परा के संगे-संग कई प्रकार के सामाजिक कुरीति मन के घलोक भारी भरमार हे, जेमा एक हे मरनी भात (मृत्‍यु भोज) खवाना जेन ह समाज के सोच अउ विकास ल पाछु करत जात हे। कई बछर पाछु के बेरा ले चले आत ये परम्‍परा हे कि कोनो भी मनखे मरथे त […]

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कविता

जौँहर करथस ओ

जौँहर करथस ओ तहू ह संझा-बिहनिया । अपन कनिहा ल मटका के। घेरी बेरी तोर कजरेरी नैना ल मोर नैन संग मिला के। दिखथस तै ह टना-टन। अउ मोरे तीर ले किंजरथस। लगा के लाली लिपिस्टिक । होंठ म, धेरी-बेरी संवरथस। पाये हस कुदाये बर इसकुटी ल। अब्बड़ ओमा तै किंजरथस। देख के मोर फटफटी […]

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गोठ बात

गांव शहर ले नंदा गे हे पतरी भात, मांदी

विकसित होत गांव शहर हा अपन संस्कृति ला छोड़ के भुलावत जात हे, अब के बेरा म हमर पहली जइसे संस्कृति देखे ल नई मिलये, अईसे कई किसिम-किसिम के चीज हे जेन आज के बेरा म नंदात जात हे,  येही म हमर छत्तीसगढ़ी संस्कृति म पतरी भात (मांदी) एक संग बईठ के खाये के महत्व अब्बड़ रहिस […]

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गीत

नैन तै मिला ले

मोर संग नैना तै मिला ले गोरी मोर….. मोर संग नैना तै मिला ले ….. 2 छुटे न तोर मोर बंधना जनम के जोड़ी। अपन मया तै मोला देखा दे। मोर संग नैना तै मिला ले गोरी मोर…. मोर संग नैना तै मिलाले……. तोर मया ल मैं अपन बनाहू राजा मोर तोर मया ल मैं […]