Categories
गज़ल

अशोक नारायण बंजारा के छत्‍तीसगढ़ी गज़ल

आंखी म नावा सपना बसा के रखवअपन घर ला घर तो बना के रखव।आंखी ले बढ़के कूछू नइये से जग माए-ला अपने मंजर ले बचा के रखव।सोवा परत म कहूं झनिच जाबे अंगना म चंदैनी सजा के रखव।बड़ कोंवर हे जीयरा दु:ख पाही गोरी के नजर ले लुका के रखव।दिन महीना बछर कभू मउका मिलहीअंतस […]

Categories
कहानी

कहिनी – नवा अंजोर

नोनी मैं तो आन धर के छईहां नई खुंदे रहें, बुता करई तो जानते नई रहें। फेर मोर आदमी के बीते म जीनगी के ताना नना होगे। घर चलाय बर गहना गूंठा तक बेचागे। माय मइके मैं दिन के चार दिन बने राखही तहां…। नानमुन गोठ ह हूल मारे कस लागथे। एही पाय के मैं […]

Categories
कहानी

नवा अंजोर कहिनी

नोनी मैं तो आन धर के छईहां नई खुंदे रहें, बुता करई तो जानते नई रहें। फेर मोर आदमी के बीते म जीनगी के ताना नना होगे। घर चलाय बर गहना गूंठा तक बेचागे। माय मइके मैं दिन के चार दिन बने राखही तहां…। नानमुन गोठ ह हूल मारे कस लागथे। एही पाय के मैं […]

Categories
कहानी

कहिनी : आरो

‘भइया’ आखर ह अघ्घन ल हलोर देथे। ओखर हिरदे के तार झनझना जाथे। ये मनखे मोला का जान-सुन के चेता के गईस हे? का मैं ह चोर नो हँव। ओखर अंतस ले आरो आथे… नइ तैं ह चोर नइ अस। तैं कब ले चोर बन गए? अघ्घन कथे नई-नई मैं चोर हंव। अभी-अभी बने हंव। […]