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गज़ल

सी.पी.तिवारी ‘सावन’ के छत्‍तीसगढ़ी गज़ल

गरिबहा मन ला रोजे रोज अपन करम उठाना हे संहीच मा भइया बडहरे मन के ये जमाना हे। का कोनो ला दीही ओ बपुरा भिखमंगा हा जुच्‍छा-जुच्‍छा गाना हे, जुच्‍छा अउ बजाना हे।बाप के कमई मा भला बेटा ला का लागही फोकट के खाना हे अउ गुलछर्रा उड़ाना हे। जेखर उठना, बइठना हे मंतरी, संतरी […]