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कहानी

एक मुठा माटी

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गीत

गीत : दीन दयाल साहू

मै हा नहकाहूं डोगा पार,आवत हे प्रभु मोर द्वार। तैहा जग के ,आये पालन हार ये मोरे स्वामी। राम लक्ष्मण दूनो भाई ,संग मा हावे सीता माई। तैहा जग के ,आये पालनहार। नइ डूबो कभू। मझदार,सेवा में आयेव मल्हार । तैहा जग के ,आये पालानहार मोरे स्वामी । तोर चरण मैहा परवार हूं ,सब सागर […]

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कहानी

बेटी दमाद के करनी : नान्‍हे कहिनी

”बरतिया किथे कईसे गउंटिया जानत हस, हमन राउत हाथ के पानी नी पीयन तेला। हमन बड़े कबीरहा हरन। हमन नई खान तोर जेवन ल। हमन छोटे नई होवन। गउंटिया हा हाथ जोर के खड़ा होगे। फेर बराती मन टस के मस नी होईन। लगिन के बेरा हा निकलत रिहिस। दमाद बाबू बराती मन ल किथे […]

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व्यंग्य

सबके अपन रंग

पेड़ पौधा मन अपन रंग बदलथे लोग अपन सुवारथ बर खाये पीये के जीनिस ला रंगा के बेचत है। जीव जंतु मन अपन रंग बदलथे। टेटका मेचका मन अपन दुसमन ला चकमा देबर रंग बदलके वाला होथे। बिगर बुध्दिवाला मन अपन रंग बदल सकत हे, त बुध्दि वाला मनखे अपन रंग ला बदले बर काबर […]

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कहानी

गुदेलना – कहिनी

राधा अपन अंतस के पीरा ला कभू कोनो ल जनान नी देवय। फेर येकर कोनो नइहे कहिके लोगन जइसने पाथे वइसने ताना मारे मा कमी नी करय। राधा ह बिगर धियान दे अपन रसता आवत-जात रिथे। फेर ककरो बहकावा मा नी अईस। रसता मा कतको झन कुछु-न-कुछु कहात रिथे फेर लहुट के जुवाब कोनो ला […]

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कहानी

हमर होरी – कहिनी

काय करबे बिधाता के आघु मा काकरो थोरे चलना हे। जिनगी के मरम ला निभाना हे। तब रोवत होय ते हासत जिये बर परही। अइसने जेकर करम हा फुटहा रिथे तेहर होस संभाले तहाने जियत भर ले मुड़ धरके रोवत राह। कतको कमा ले पईसा-कौड़ी भरे-भरे परवार के रहात ले घलो जिनगी मा कोनो न […]

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व्यंग्य

मनखे के भाव

बड़ बिहनिया मुंदरहा ले बेर निकले के पहिली नागर ला खान मा धरे चौरसता ले आघू कोती अरहू कहिके हफरत नाहकत रेहेंव ततके मा एक ठन मोटर हा आके मोर सन हबरगे। बीच रसता मा मुहु केर्रा गिरेंव मोटर के आघू घलो पेचक गे। मोर उठते, मोटर ले एक झन उतरिस ललछरहा मेंहा देखत केहेंव […]

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व्यंग्य

कुरसी नी पुरत हे

का जमाना आगे हे भगवान, तुही मन बताव काय करना चाही। जमाना कतका आघु बढ़त हे। तेनहा काकरो ले लुकाय नई हे। कुछु समझ नी आय काय करना चाही। आज के बेरा मा खुरसी के मरमे ला देखलव। पहिली जमाना मा सुघ्घर घर लीप के पहुना ला भुंईंया मा बईठारयं। घर के मनखे संग बईठके […]

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व्यंग्य

साल गिरहा मना लेतेन जोड़ी

कुकरा बासे नी रिहिस हे। बड़ बिहनिया ले गोसईन हा सुत उठके घर दुवार ला लीप बहार के तियार होगे। मेंहा देखेंव अउ कलेचुप सुतगेंव। गुनत रेहेंव येहा आज पहिली ले कईसे सुतके उठगे हावे कहिके। मोला काय करना हे कहिके धियान घलो नी देंव। गोसईन हा मुंदेरहा ले चहा लान के मुरसरिया मेर आके […]

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व्यंग्य

फेरीवाला

हमर देस हा जबले अजाद होय हावय तेन बखत ले सबला अजादी मिलगे हावय। तेकरे सेती कोनो हा डर नाव के कोनो जिनिस होथे तेनला भुलागे हें। अजादी मा डर के कोनो बाते नईहे। ईही अजादी के फेरा मा जेनहा काय होही देखे जही कहिके कुछु करथे तेकर काहीं घलो नी होवय। अउ डरराय असन […]