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कविता

ओहा मनखे नोहय

जेन ह दुख म रोवय नइ मया के फसल बोवय नइ मुड़ ल कभू नवोवय नइ मन के मइल ल धोवय नइ ओहा मनखे नोहय जी। जेन ह जीव के लेवइया ए भाई भाई ल लड़वइया ए डहर म कांटा बोवइया ए गरीब के घर उजरइया ए ओहा मनखे नोहय जी। जेन ह रोवत रोवत […]

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कविता

घाम जनावत हे

बितगे जाड़ आगे गरमी घाम जनावत हे। तात तात आगी असन हवा बोहावत हे कोयली मइना सुआ परेवा नइ गुनगुनावत हे छानही खपरा भिथिया भूंइया जमो गुंगंवावत हे कुकरी बोकरी गरवा बइला बछरू नरियावत हे बितगे जाड़ आगे गरमी घाम जनावत हे। गली खोल गांव सहर घर सिनिवावत हे नल नहर नदिया समुंदर तरिया सुखावत […]

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गोठ बात

चउतरा सेठ

संगवारी हो दुनिया म गजब गजब के मनखे रइथे। कोनो बड़ सिधवा होथे त कोनो बड़ टेड़वा। टेड़वा मनखे के मति के कोनो ठिकाना नइ रहय। कभू भी कहूं ल ठग देथे। चउतरा मनखे ह भगवान घलो ल नइ छोड़य। एकबार एक चउतरा सेठ ह डोंगा म बइठके बेपार खातिर यातरा करत रहिस। यातरा के […]

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कविता

कबिता : घाम जनावत हे

बितगे जाड़ आगे गरमी घाम जनावत हे। तात तात आगी असन हवा बोहावत हे कोयली मइना सुआ परेवा नइ गुनगुनावत हे छानही खपरा भिथिया भूंइया जमो गुंगुवावत हे कुकरी बोकरी गरवा बइला बछरू नरियावत हे बितगे जाड़ आगे गरमी घाम जनावत हे। गली खोल गांव सहर घर सिनिवावत हे नल नहर नदिया समुंदर तरिया सुखावत […]

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गोठ बात

जप तप पुन के भूंइया ए हमर छत्तीसगढ़

छत्तीसगढ़ के माटी के महक ह न सिरफ भारत म बल्कि पूरा बिस्व म फइले हे। ए भूंइया ह तप अऊ पुन के भूंइया ए। इहां एक ले बड़के एक संत, रिसि अऊ मुनि पइदा होय हे। महानदी, सिवनाथ अऊ इंदरावती छत्तीसगढ़ के पबरित बोहात नदिया ए जेकर तीर म रहिके कइझन तप करइया होइस। […]

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गोठ बात

बिहाव म खवाव बोरे बासी

हमर छत्तीसगढ़ म किसम किसम के खाई खजाना भरे हे। तस्मई, बरा, भजिया, चिवरा, उखरा, सोंहारी, खुरमी, ठेठरी, अउ नई जानन कतका कन बियंजन हावे। फेर किसान मन अउ छत्तीसगढ़ के मितान मन ल बोरे बासी ह जादा मिठाथे। मोर छत्तीसगढ़ के संगवारीमन ल एक कति काजू,बदाम, पिसता, अखरोट, इटली, दोसा दे देवव अउ दूसर […]

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गीत

छत्तीसगढ़ी के पीरा

गवां गेंहव अपने घर म बनगे मंय जिगयासा हौं खोजत हौं अपन आप ल मंय छत्तीसगढ़ी भासा औं। सहर म पूछारी नइ हे गांव के मन भगवारत हे कोन बचाही मोला संगी अंगरेजी अडंगा डारत हे कहुं कति ठऊर नइ हे ढुलत जुआ के पासा औं खोजत हौं अपन आप ल मंय छत्तीसगढ़ी भासा औं। […]