-डॉ. चितरंजन कर निस्संदेह गज़ल मूलत: उर्दू की एक काव्य विधा है, परन्तु दुष्यंत कुमार के बाद इसकी नदी बहुत लंबी और चौड़ी होती चली गई है। जहाँ-जहाँ से यह नदी बहती है, वहाँ-वहाँ की माटी की प्रकृति, गुण, स्वभाव और गंध आदि को आत्मसात कर लेती है, जैसे नदी अलग-अलग प्रांतों, देशों में बँटकर […]
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