जयलाल कका ह फुलझर गॉव म रहिथे। वोहा नाचा के नाम्हीं कलाकार आय। पहिली मंदराजी दाउ के साज म नाचत रिहिस। अब नई नाचे । उमर ह जादा होगे हे। बुढ़ुवा होगे हे त ताकत अब कहां पुरही । संगी साथी मन घलो छूट गे हे। कतको संगवारी मन सरग चल दिन। एक्का दुक्का बांचे […]
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– डॉ. दादूलाल जोशी ‘फरहद’ लोक कथाओं के लिए छत्तीसगढ़ी में कथा कंथली शब्द का प्रयोग किया जाता है। यह वाचिक परम्परा की प्रमुख प्रवृत्ति है। कथा कंथली दो शब्दों का युग्म है। सामान्य तौर पर इसका अर्थ कहानी या कहिनी से लिया जाता है किन्तु वास्तव में इसके दो भिन्न भिन्न अर्थ सामने आते […]
डॉ. . दादूलाल जोशी ‘फरहद’ जब भी गज़ल विधा पर चर्चा होती है , तब कतिपय समीक्षकों का यह मत सामने आता है कि गज़लें तो केवल अरबी , फारसी या उर्दू में ही कही जा सकती है। अन्य भाषा ओं में रचित गज़लें अधिक प्रभावी नहीं हो सकती । शायद इसीलिए अन्य भाषा ओं […]
तीन छत्तीसगढ़ी गज़ल
दादूलाल जोशी ‘फरहद’ (1) सच के बोलइया ला ,जुरमिल के सब लतिया दीन जी । लबरा बोलिस खांटी झूठ , त तुरते सब पतिया लीन जी ।। हमू ल बलाये रिहीन बइठका मा , फेर मिलिस नहीं मौका , कोन्दा लेड़गा मान के मोला , अपनेच्च मन गोठिया लीन जी ।। न कुछु करनी हे […]
दादूलाल जोशी ‘फरहद’ के छै ठन कविता
दू डांड़ के बोली ठोली 1. हिरदे म घात मया , आंखी म रीस हे । फागुन के महिना म, जस फूले सीरिस है।। 2. सुघ्घर – सुघ्घर दिखथे , जस मंजूर के पांखी । कपाट के ओधा ले , झांकत हे दू ठन आंखी ।। 3. अंइठे हावस मुंह ल , करके टेंड़गा गला […]
जानबा : दादूलाल जोशी ‘फरहद’
नाव – दादूलाल जोशी ‘फरहद’ ददा – स्व.खेदूराम जोशी दाई – स्व.पवनबाई जन्मन – 04/01/1952 पढ़ईलिखई – एम.ए.हिन्दी पीएच.डी. जनम जगा-गाँव फरहद पो0 सोमनी, तह. जिला-राजनांदगाँव (छ.ग.) हुनर – कविता कहानी निबन्ध लिखना। हिन्दी छत्तीसगढ़ी दूनों म। सम्पादन, अभिनय, उद्घोषक। किताब – ‘अब न चुभन देते हैं कांटे बबूल के‘ कविता संघरा ‘आनी बानी’ भारतदेश […]
छत्तीसगढ़ी कविता मा लोक जागरन के सुर
छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग के महाधिवेशन दिनाँक 23/24 फरवरी 2013 म पढ़े गए आलेख डॉ.दादूलाल जोशी ‘फरहद’ साहित्त के बिसय मा जुन्ना गियानी लेखक मन हा अघात काम करें हें । साहित्त के कतना किसिम के अंग होथे ,उंकर सरूप अउ बनावट कइसे रहिथे ? उनला रचे -बनाये के का नियम होथे ? ये सब्बो के […]
चना के दार राजा, चना के दार रानी
छत्तीसगढ़ी व्यंग्य चना के दार राजा, चना के दार रानी, चना के दार गोंदली कड़कत हे। टुरा हे परबुधिया, होटल म भजिया झड़कत हे। शेख हुसैन के गाये गीत जउन बखत रेडियों म बाजिस त जम्मों छत्तीसगढिया मन के हिरदे म गुदगुदी होय लागिस। गाना ल सुनके सब झन गुनगुनावंय अउ झूमरे लागंय। सन् साठ […]