रूख तरी आवव, झुलवा झुलव,थोरकुन बइठव, सुसता लेवव, रूख तरी आवव…… घाम गम घरी आगे रुख तरी छइया पावव, जिनगी के आधार रूख तरी आसरा पावव. रूख तरी आवव…… चिरिया-चिरगुन,पंछी-परेवा बर रूख सुघ्घर ठीहा हवय, चलत पुरवइया पवन ले ,जम्मो तन मन ल जुड़ावव. रूख तरी आवव……. चारो अंग कटगे जंगल झारी नागिन रददा रेंगत […]
Tag: Dr. Jaybharati Chandrakar
झिरिया के पानी
मयं झिरिया के पानी अवं, भुंइया तरी ले पझरत हवव, मयं झिरिया के पानी अवं, मयं झिरिया के पानी……. अभे घाम घरी आगे, नदिया नरवा तरिया अटागे, नल कूप अउ कुआं सुखागे, खेत खार, जंगल झारी कुम्हलागे, तपत भुईया के छाती नदागे. पाताल भुंइया ले पझरत हवं,मयं झिरिया के पानी अवं, मयं झिरिया के पानी […]
छत्तीसगढ़ी भासा के महत्तम
छत्तीसगढ़ी भासा अब्बड़ मीठ ,गुरतुर बोली आय, आमा के रूख मा कोइली मीठ ,बोली अस आय. छत्तीसगढ़ी भासा अब्बड़ मीठ….. हिदय के खलबलावत भाव ल उही रूप म लाय, फूरफूंदी अस उड़त मन के ,गीत ल गाय. छत्तीसगढ़ी भासा अब्बड़ मीठ….. जइसन बोलबे तइसन लिखबे ,भासा गुन आय, जै जोहार अउ जै जवहरिया,सब्द भासा के […]
सुवा कहि देबे संदेस
समारू हर ऐ बखत अपन दु एकड़ खेत म चना बोय रिहिस. बने ऊंच -ऊंच हरियर-हरियर चना के झार म अब्बड़ रोठ-रोठ मिठ दाना चना के फरे रिहिस. अइसन चनाबूट के दाना ल देख के समारू हर अब्बड़ खुस होगे रहाय. इही पइत के चना हर अब्बड़ सुघ्घर होय हवय, बने पचास बोरी ले जादा […]
आज नारी हर महान होगे
बेटी बचाव, बेटी पढ़ाव के नारा हर, सिरतोन होगे, आज नारी हर महान होगे. आज नारी हर महान होगे……. मुधरहा ले भिनसरहा, भिनसरहा ले अंजोर होगे, हमर छत्तीसगढ़िया बहनी मन, सबले बढ़िया होगे. आज नारी हर महान होगे… घर, गंवई -गांव म नवा अंजोर होगे, पढ़ई-लिखई म बहु-बेटी मन सबले आगू होगे. आज नारी हर […]
परंपरा की खुशबू है इन कहानियों में छत्तीसगढी-साहित्य में निरंतर अनुसंधान तथा अन्य विधाओं में सक्रिय लेखनरत डॉ.जयभारती चंद्राकर का यह प्रथम छत्तीसगढी़ कहानी संग्रह है। ‘शहीद के गाँव’ शीर्षक से संकलित इन कथाओं में छत्तीसगढ़ का यथार्थ स्वाभाविक रूप से दिखाई देता है। पहली कहानी ‘शहीद के गाँव’ एक सच्ची कहानी है, जो देश के लिए […]
वृक्षारोपण के गोठ
आज बड़ बिहिनिया ले नर्सरी म जम्मो फूल अउ बड़का रूख के नान्हे-नान्हे पौधा मन म खुसी के लहर ड़़उंड़त हवय, काबर आज वृक्षारोपण कार्यकरम म जम्मो नर्सरी के फूल अउ बड़का रूख मन के नान्हे-नान्हे पौधा ल लेहे बर बड़का जनिक ट्ररक हर नर्सरी म आये हवय. गोंदा, मोंगरा, गुलाब फूल अउ चंदन के […]