भरगे ताल तरैया, भेया भरगे ताल तरैया झिमिर झिमिर जस पानी बरसे महके खेत खार के माटी घुड़र घुड़र जस बादर गरजै डोलै नदिया परबत घाटी नांगर धरके निकलिन घर से, सबै किसान कमैया॥ इतरावत है नदिया, लागिस झड़ी गजब रे ! सावन के बादर सेना घुमड़िन जइसे राम लखन अउ रावन के पानी बादर […]
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हरि ठाकुर के गीत: सुन-सुन रसिया
सुन-सुन रसिया ! आंखी के काजर लगय हंसिया चंदा ल रोकेंव, सुरुज रोकेंव रोकंव कइसे उमर ला चुरुवा भर-भर, पियैव ससन भर गुरतुर तोर नजरला मोर मन बसिया! तोर आँखी के काजर लगय हंसिया। सुन-सुन रसिया! गिनत-गिनत दिन, महिना, बच्छर मोर खियागे अंगरी रद्द देखते-देखत बैरी आँखी भइगे झेंझरी बैरी अपजसिया! तोर आँखी के काजर […]
सब ले जुन्ना देश हमर धरम अउर संस्कृति के घर राम कृष्ण अवतरिन हइहां सरग बनाइन हमर भुयाँ। सुग्घर सबले छत्तिसगढ़ कौशिल्या माता के घर ओखर सुमरन कर परनान जनम दिहे तैं राजा राम। कलजुग मां जब पाप बढ़िस बेरा उतरिस, रात चढ़िस राजा-परजा दुनो निबल परिन गुलामी के दल दल। बनिया बन आइन अंगरेज […]
लोटा धरके आने वाला इहां टेकाथें बंगला
लोटा धरके आने वाला इहां टेकाथें बंगला। जांगर टोर कमाने वाला है कंगला के कंगला। देखत आवत हन शासन के शोसन के रंग ढंग ला। राहत मा भुलवारत रहिथे छत्तीसगढ़ के मनला। हमरे भुंइया ला लूटत हें, खनथें हमर खनिज ला। भरथे अपन तिजोरी, हरथें हमर अमोल बनिज ला। चोरा चोरा के हवै ढोहारत छत्तीसगढ़ […]
छत्तिसगढ़ के गंगा : हरि ठाकुर के गीत
दूध असन छलकत जावत हे, महानदी के धार। छत्तिसगढ़ के माटी ओखरे सेती करे सिंगार।। लहर लहर लहरावै खेती, डोलावै धान कोदो राहेर तिंबरा बटुरा, मां भरथे मुस्कान हरियर हरियर जम्मो कोती दिखथे सबो कछार। दूध असन छलकत जावत हे, महानदी के धार॥ छत्तिसगढ़ के गंगा मइया, सब जन के महतारी तोर अँचरा मां राजिऊ […]
व्हाट्स एप ग्रुप साहित्यकार में श्री अरूण कुमार निगम भईया ह पितर पाख मा पुरखा मन के सुरता कड़ी म श्री हरि ठाकुर के कविता प्रस्तुत करे रहिन हे जेला गुरतुर गोठ के पाठक मन बर सादर प्रस्तुत करत हन – दिया बाती के तिहार होगे घर उजियार गोरी, अँचरा के जोत ल जगाये रहिबे […]