Categories
व्यंग्य

बियंग: निरदोस रहे के सजा

बहुत समे पहिली के बात आय। जमलोक बिलकुलेच खाली होगे रहय। यमदूत मन बिगन बूता काम के तनखा पावत रहय। बरम्हाजी ला पता चलिस त ओहा चित्रगुप्त उपर बहुतेच नराज होइस। चित्रगुप्त ला बरम्हाजी हा अपन चेमबर म बलाके, कमरटोर मंहंगई अऊ अकाल दुकाल के समे म, बिगन बूता के कन्हो ला तनखा देबर मना […]

Categories
व्यंग्य

बियंग : करजा के परकार

यू पी एस सी के परीकछा म भारत के अरथ बेवस्था ला लेके सवाल पूछे गिस। सवाल ये रहय के करजा के कतेक परकार होथे। जे अर्थसासतरी लइका मन बड़ पढ़ लिख के रटरुटाके गे रहय तेमन, रट्टा मारे जवाब लिखे रहय। ओमन लिखे रहय – तीन परकार के करजा होथे, पहिली अलपकालीन, दूसर मध्यकालीन […]

Categories
व्यंग्य

बियंग: करजा माफी

करजा माफी के उमीद म, किसान मन के मन म भारी उमेंद रहय। जे दिन ले करजा माफी के घोसना होय रहय ते दिन ले, कतको झिन बियाज पुरतन, त कतको झिन मुद्दल पुरतन पइसा के, मनदीर म परसाद चढ़हा डरे रहय। दूसर कोती, करजा माफी के घोसना करइया के पछीना चुचुवावत रहय। मनतरी मन […]

Categories
कहानी

लघु कथा – सोज अंगुरी के घींव

ककछा म गुरूजी हा, हाना के बारे म पढ़हावत पढ़हावत बतावत रहय के, सोज अंगुरी ले घींव नी निकलय। जब घींव निकालना रहिथे तब, अंगुरी ला टेड़गा करे बर परथे। एक झिन होसियार कस लइका किथे – गुरूजी ये हाना हा जुन्ना अऊ अपरासांगिक हो चुके हे, अभू घींव हेरे बर अंगुरी ला टेड़गा करे […]

Categories
व्यंग्य

भूख के जात

मरे के जम्मो कारन के कोटा तय रहय, फेर जब देखते तब, सरकारी दुकान ले, दूसर के कोटा के रासन सरपंच जबरन लेगय तइसने, भूख हा, दूसर कोटा के मउत नंगाके, मनखे ला मारय। यमदूत मन पिरथी म भूख ला खोजत अइन। इहां अइन त देखथे, भूख के कइठिन जात। सोंच म परगे भगवान कते […]

Categories
व्यंग्य

रासन कारड

ऊंखर जउंहर होय, मुरदा निकले, खटिया रेंगे, चरचर ले अंगुरी फोरत बखानत रहय। का होगे या भऊजी, काकर आरती उतारत हस, राम राम के बेरा। नांगर धर के खेत रेंगत पूछत रहय छन्नू अपन परोसीन ल। चुनई लकठियाथे तंहंले कइसे मोहलो मोहलो करथे किरहा मन। तेंहा परिवार के मुखिया हरस कहिके, मोर नाव ले रासन […]

Categories
व्यंग्य

कोउ नृप होउ, हमहि …

हमर राम राजा बनही, ये सपना हा आज के नोहे , तइहा तइहा के आए! त्रेताजुग म, जम्मो तियारी कर डारिन,फेर राम ल राजा नि बनाए सकिन कोन्हो, अउ दसरथ सपना देखत दुनिया ले बिदा घला होगिस! उहां के जनता के चौदा बछर, सिरिफ अगोरा म बीतगे! राम राजा बनही, त ऊंखर समसिया के निराकरन […]

Categories
व्यंग्य

चरनदास चोर

चरनदास चोर ला कोन नी जानय। ओकर इमानदारी अऊ सेवा भावना के चरचा सरग तक म रहय। अभू तक कन्हो चोर ला, सरग म अइसन मान सममान नी मिलिस जइसन चरनदास पइस। एक दिन के बात आय, चरनदास हा, सरग म ठलहा बइठे भजन गावत रहय तइसने म, चित्रगुप्त के बलावा आगे। चित्रगुप्त किथे – […]

Categories
व्यंग्य

अग्यातवास

अपन हक ले बंचित, पांडो मन के भाग म लिखाये अग्यातवास हा, कलजुग म घला पीछू नि छोरत रहय। अग्यातवास के कलजुगी समे म, द्वापर जुग कस, यक्छ ले इंखर मुलाखात, फूल टोरे के बहाना तरिया म फेर हो जथे। कलजुगिया यक्छ , फूल दे के बहाना, इंखर मन के योग्यता के परीकछा के बात […]

Categories
व्यंग्य

माफी के किम्मत

भकाड़ू अऊ बुधारू के बीच म, घेरी बेरी पेपर म छपत माफी मांगे के दुरघटना के उप्पर चरचा चलत रहय। बुधारू बतावत रहय – ये रिवाज हमर देस म तइहा तइहा के आय बइहा, चाहे कन्हो ला कतको गारी बखाना कर, चाहे मार, चाहे सरेआम ओकर इज्जत उतार, लूट खसोट कहीं कर …….. मन भरिस […]