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व्यंग्य

कब बबा मरही ….. कब बरा खाबो

मोर राज आवन दव, तहन तुंहर गांव के संगे संग, तुंहरो भाग जाग जही। एक बेर मोला जितावव तो सही ………? बीते पचास बछर ले, कतको मुहुं ले, इही बात सुने बर मिल चुके हे। अइसन बोलइया कतको मुहुं ला, मउका घलो, कतको बेर मिल चुके हे। फेर, उही मुहुं ले, ये दारी नी कर […]

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व्यंग्य

चुनावी व्‍यंग्‍य : योग्यता

चुनाव के समे लकठियागे रहय। अपन अपन पारटी ले टिकिस झोंके बर, कार्यकरता मनके लइन लगे रहय। पारटी के छोटे से बड़का कार्यकरता, अपन आप ला विनिंग केंडीडेट समझय। पारटी परमुख, टिकिस के लइन देख के, पारटी के जीत के आस म भारी खुस रहय। टिकिस के आस म, लइन लगे कार्यकरता के योग्यता जांचे […]

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व्यंग्य

चुनावी व्‍यंग्‍य : बूता के अपग्रेडेसन

सांझ कुन के बेरा म गुड़ाखू घंसरत, दू झिन मनखे मन तरियापार म बइठके, दुख सुख गोठियावत रहय। एक झिन डमचगहा रहय , दूसर जादूगर। दुनो पक्का संगवारी रहय। गांव गांव, गली गली किंजर किंजर के, नावा नावा खेल देखाये तब कहूं ले दे के, बपरा मन के परिवार चलय। धीरे धीरे एकर मन के […]

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कहानी

चुनावी लघुकथा : बुरा न मानो …… तिहार हे

एक – तैं कुकुर दूसर – तैं बिलई एक – तैं रोगहा दूसर – तैं किरहा एक – तैं भगोड़ा दूसर – तैं तड़ीपार एक – तैं फलाना दूसर – तैं ढेकाना ……… गांव के मनखे मन पेपर म रोज पढ़य। अचरज म पर जावय के, अइसन एक दूसर ला काबर गारी बखाना करथे। ओमन […]

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कहानी व्यंग्य

चुनावी कथा : कंठ म जहर

समुनदर मनथन म, चऊदह परकार के रतन निकलीस। सबले पहिली, कालकूट जहर निकलीस। ओकर ताप ले, जम्मो थर्राये लगीन। भगवान सिव, अपन कंठ म, ये जहर ला धारन कर लीन। दूसर बेर म, कामधेनु गऊ बाहिर अइस, तेला देवता के रिसी मन लेगीन। तीसर म, उच्चैश्रवा घोड़ा ल, राकछस राज बलि धरके निकलगे। चउथा रतन […]

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व्यंग्य

बरतिया बर पतरी निही, बजनिया बर थारी

सत्ता सुनदरी के स्वयमबर के तियारी जोरसोर से चलत रहय। जगा जगा के मनखे मन, रंग बिरंग के पहिर ओढ़ के, तियार होके पहुंचे रहय। हरेक पारटी के मुखिया मनखे मन, सत्ता नोनी ला मोहाये बर, तरहा तरहा के उपाय म लगे रहय। सत्ता के रूप अऊ गुन के अतेक चरचा चारों कोती बगरे रहय […]

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व्यंग्य

चुनावी घोसना पत्र

हमर देस म जतेक खबसूरत चीज हे तेमा, चुनावी घोसना पत्र के नाव पहिली नमबर म गिने जाथे। एकर खबसूरती अतेक के, येमा कोन नी मोहाये। सुनदर ले सुनदर अऊ जवान ले जवान हिरवइन ला, येकर आगू म खड़ा करा दव। हिरवइन ले जादा ले जादा मोहाइच जही त, जवनहा मन, या पइसा वाला सियान […]

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व्यंग्य

चुनाव आयोग म भगवान

भगवान के दरसन करके, बूता सुरू करे के इकछा म, चार झिन मनखे मन, अपन अपन भगवान के दरसन करे के सोंचिन। चारों मनखे अलग अलग जात धरम के रिहीन। भलुक चारों झिन म बिलकुलेच नी पटय फेर, जम्मो झिन म इही समानता रहय के, चाहे कन्हो अच्छा बूता होय या खराब बूता, ओला सुरू […]

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व्यंग्य

योग्यता

चुनाव के समे लकठियागे रहय। अपन अपन पारटी ले टिकिस झोंके बर, कार्यकरता मनके लइन लगे रहय। पारटी के छोटे से बड़का कार्यकरता, अपन आप ला विनिंग केंडीडेट समझय। पारटी परमुख, टिकिस के लइन देख के, पारटी के जीत के आस म भारी खुस रहय। टिकिस के आस म, लइन लगे कार्यकरता के योग्यता जांचे […]

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व्यंग्य

बड़का कोन

सरग म खाली बइठे बइठे गांधी जी बोरियावत रहय, ओतके बेर उही गली म, एक झिन जनता निकलिस। टाइम पास करे बर, गांधीजी हा ओकर तिर गोठियाये बर पहुंचके जनता के पयलगी करिस। गांधी जी ला पांव परत देखिस त, बपरा जनता हा अकबकाके लजागे अऊ किथे – तैं काकरो पांव पैलगी झिन करे कर […]