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कविता

मोर गाँव के किसान

मोर गाँव के किसान भईयाँ बुता-बनिहारी के करईयाँ अपन बनिहारी के खवईयाँ गाँव घर के रहईयाँ मोर गाँव के किसान भईयाँ। बनिहारी करके फसल उगईयाँ दुनियाँ के पालन करईयाँ बईला तोर मितान भईयाँ धान,गेहूँ, चना, उन्हारी के खेती करईयाँ मोर गाँव के किसान भईयाँ। हमर छत्तीसगढ़ महान हमर छत्तीसगढ़ हवय महान जिहाँ देवी देवता हवय […]

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कविता

छत्तीसगढ़ निर्माण

एक नवम्बर 2000 मा छ.ग. अपन अस्तित्व मा अईस हे भारत देश मा अपन पहचान ला बनाईस हे 26 वाँ राज्य के नाम ला अपन छ.ग. हा पइस हे रायपुर शहर ला, अपन राजधानी बनाईस हे। जिला बिलासपुर ला, हाईकोर्ट के दर्जा दिलाईस हे। मूल मंत्र सादगी के साथ, जन सेवा ला अपनईस हे। पहाड़ी […]

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कविता

येदे गरमी के दिन आगे

येदे गरमी के दिन आगे चारो कुती घाम हा बाड़ गे घाम के झाँझ मा तन हा लेसागे तन ले पसीना पानी कस चुचवागे रूख-राई के छैईहा सिरागे येदे गरमी के दिन आगे। पानी के बिना काम नी चले चारो कुती पानी के तगई छागे तरिया-डबरी, नरवा-डोगरा जम्मो सुखागे गरमी के घाम ला देख के […]

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कहानी

समारू के दु मितान कालू-लालू

ये कहानी हा हमर छत्तीसगढ़ के किसान अऊ ओकर मितान बईला के हरय। कईसे येक किसान हा अपन मितान ला जतन के रखथे त ओकर मितान बईला हा ओकर कईसे साथ देथे। ऐकठन गाँव मा बड़ गरिबहा किसान रहाय ओ किसान के नाम रहय समारू। समारू ह बड़ गरीब रहय बेचारा हा बनी करके खाय […]

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कविता

किसानी के गीत

आवा आवा रे आवा ना, किसान अऊ बनिहार मन आवा ना। आगे आगे रे आगे ना, बारीश के दिन बादर आगे ना। चलव चलव रे चलव ना, खेती अऊ खार चलव ना। आवा आवा रे आवा ना, किसान अऊ बनिहार मन आवा ना। धरव-धरव रे धरव ना, नागर अऊ बैइला ला धरव ना। बोवव-बोवव रे […]

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कविता

हमर माटी हमर गोठ

1. भगवान के पूजा करथव सही रद्दा मा चलथव। सब्बो झन ला अपन समझथव ज्ञान के संग ला धरथव अपन अज्ञानता ला भगाथव दाई ददा के गुन गाथव। 2. ईश्वर के मया, कृपा अऊ दुलार हे छत्तीसगढ़ माटी के पहचान हे। किसान बेटा के नाम हे बुता बनिहारी के काम हें। हेमलाल साहू मोर नाम […]