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कविता

अलकरहा जाड़

अलकरहा जाड़ के भईया होगे एंसो चढ़ाई हे। बीच बतीसी कटकट माते बीन हथियार लड़ाई हे।। जाड़ खड़े-खड़े हांसत हे कथरी बिचारी कांपत हे। आगी भकुवाय परे हे कमरा सेटर कांखत हे।। करिया भुरुवा बादरा रही रही मटमटावत हे। रगरग ले ऊवईया घलो सुरुज देव लजावत हे।। खरसी भूंसा मा डोकरी दाई गोरसी ला सिरजाये […]