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कविता

मुसुवा के मूँड़ पीरा

मुसुवा कहय अपन प्रिय स्वामी गनेश ले। कब मिलही मुक्ति प्रभु कलजुग के कलेश ले।। बारा हाल होही अब गियारा दिन के तिहार मा, बइठाही घुरुवा कचरा नाली के तीरतार मा, बिकट बस्साही छपके रबो मुँह नाक ला। माटी मिलाही प्रभु हमर दूनों के धाक ला। आनी-बानी के गाना ला डी.जे. मा बजाही। जोरदरहा अवाज […]

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कुण्‍डलियॉं छंद

अमित के कुण्डलिया ~ 26 जनवरी

001~ तिरंगा झंड़ा धजा तिरंगा देश के, फहर-फहर फहराय। तीन रंग के शान ले, बैरी घलो डराय। बैरी घलो डराय, रहय कतको अभिमानी। देबो अपन परान, निछावर हमर जवानी। गुनव अमित के गोठ, कभू झन आय अड़ंगा। जनगण मन रखवार, अमर हो धजा तिरंगा। 002~ भारत भुँइयाँ भारत हा हवय, सिरतों सरग समान। सुमता के […]

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गोठ बात

सेहत के खजाना – शीतकाल

हमर भारत भुईयाँ के सरी धरती सरग जइसन हावय। इहां रिंगी चिंगी फुलवारी बरोबर रिती-रिवाज,आनी बानी के जात अउ धरम,बोली-भाखा के फूल फूले हावय। एखरे संगे संग रंग-रंग के रहन-सहन,खाना-पीना इहां सबो मा सुघराई हावय। हमर देश के परियावरन घलाव हा देश अउ समाज के हिसाब ले गजब फभथे। इही परियावरन के हिसाब ले देश […]

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कविता

सोच समझ के देहू वोट

अपन हिरदे के सुनव गोठ। सोच समझ के देहू वोट। जीत के जब आथे नेता मन, पथरा लहुट जाथे नेता मन. चिन्हव इँखर नियत के खोट। सोच समझ के संगी देहू वोट।-1 चारों खूँट सवारथ के अँधियार हे. लालच के हथियार तियार हे. दारु-कुकरा, धोती-लुगरा,नोट। सोच समझ के देहू वोट।-2 वोट माँगत ले नेता सिधवा […]

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गोठ बात

देवता मन के देवारी : कारतिक पुन्नी

हमर हिन्दू धरम मा देवी-देवता के इस्थान हा सबले ऊँच हावय। देवी-देवता मन बर हमर आस्था अउ बिसवास के नाँव हरय ए तीज-तिहार, परब अउ उत्सव हा। अइसने एक ठन परब कारतिक पुन्नी हा हरय जेमा अपन देवी-देवता मन के प्रति आस्था ला देखाय के सोनहा मौका मिलथे। हमर हिन्दू धरम मा पुन्नी परब के.बड़ […]

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कविता

तोरे अगोरा हे लछमी दाई

होगे घर के साफ सफाई, तोरे अगोरा हे लछमी दाई। अंगना दुवार जम्मो लिपागे, नवा अंगरक्खा घला सिलागे। लेवागे फटक्का अउ मिठाई, तोरे अगोरा हे लछमी दाई।। 1 अंधियारी म होवय अंजोर, दीया बारंव मैं ओरी ओर। हूम-धूप अउ आरती गा के, पईयां परत हंव मैं ह तोर, बांटव बतासा-नरियर,लाई, तोरे अगोरा हे लछमी दाई।। […]

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गोठ बात

सिंगारपुर के माँवली दाई

हमर माँवली दाई के धाम हमर नान्हें छत्तीसगढ़ राज ला उपजे बाढ़हे अभी खूब मा खूब सोला बच्छर होवत हे फेर छत्तीसगढ़ राज के नाँव के अलख जगावत कतको साल होवत हे। हमर छत्तीसगढ़ राज के जुन्ना इतिहास हा बड़ प्रसिद्ध अउ सुग्घर हावय। ए राज के बीचो-बीच मा शिवनाथ नदिया बोहावत हावय। इही शिवनाथ […]

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कविता

डेंगू के कारण कोन

एक दिन बस्ती के मच्छर एकजघा जुरियाँइन। भनन-भनन बड़ करीन ,बिक्कट गोठियाँइन। कहत हें:- मनखे मन बड़ हुशियारी झाड़थें। गलती अपन करँय अउ बिल हमर नाँव मा फाड़थें। करके ढेराढारी, कचरा फेकथें ऐती तेती।। रंग-रंग के बिमारी सँचरथे ओखरे सेती। जघा जघा गंदगी के ढेरी खुदे लगात हें। अपने करनी कर बेमारी ला बलात हें। […]

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कविता

मुसुवा के पीरा

मुसुवा कहय अपन प्रिय स्वामी गनेश ले। कब मिलही मुक्ति प्रभू कलजुग के कलेश ले। बारा हाल होही अब गियारा दिन के तिहार मा। बइठाही घुरुवा कचरा नाली के तीरतार मा। बिकट बस्साही छपके रबो मुँह नाक ला। माटी मिलाही प्रभू हमर दूनों के धाक ला। आनी-बानी के गाना ला डी.जे मा बजाही। जोरदरहा अवाज […]

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छंद दोहा

दोहा गजल (पर्यावरण)

रुख राई झन काटहू, रुख धरती सिंगार। पर हितवा ये दानियाँ, देथें खुशी अपार।~1 हरहिंछा हरियर *अमित*, हिरदे होय हुलास। बिन हरियाली फोकला, धरती बंद बजार।~2 रुखुवा फुरहुर जुड़ हवा, तन मन भरय उजास। फुलुवा फर हर बीज हा, सेहत भरे हजार।~3 डारा पाना पेंड़ के, करथें जीव निवास। कखरो कुरिया खोंधरा, झन तैं कभू […]