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गणेश चतुर्थी पर कविता

जय जय हो गजानन तोर जय हो,प्रभु दुनिया ला देखे अपन आए कर कभु। तोर अगोरा पुरा साल भर तो करथन, संग हमर हमेशा रईह जुगाड़ कर प्रभु।। बस भादो के का दस दिन हे, तोर इँहा आए के निश्चित बेरा। कतको रोज पूजे तोला इँहा हे, अब तो डार ले सदादिन डेरा।। पहिली पूजा […]

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पं. खेमेस्वर पुरी गोस्वामी के दस ठन कविता

1. चुनाव के बेरा अऊ नेता जइसे–जइसे चुनाव लकठियावत हे फिजा के आलम बदलत जावत हे मिडिया वाले घलो कवरेज देखावत हे ऐखर मतलब मोरो समझ में आवत हे कल तक जो नेता पुछत नई रिहिस साथ म प्रचार करवाये बय वो आज गरीब किसान ल घलो अपन माई- बाप बतावत हे जइसे–जइसे चुनाव लकठियावत […]

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धरम बर तुकबंदी

आड़ लेके धरम के, सत्ता सुख के छांव अस्त्र धरे कोनो हाथ म, कोनो घुंघरू बांधे पांव छुरी छुपी हे हाथ मं, मुख म बसे हे राम कंहूं हजरत के नाम ले, करथें कत्लेआम भोला बचपन विश्व म, भाला धरे हे हाथ भरे जवानी आज इंखर, छोड़त हवय रे साथ कराहत हे इंसानियत, चिल्लावत चारो […]