मँझन के दू बज गे राहय, मूँड़ मा मोटरा लादे, बाखा मा पेटी चपके, गाँव के मोठडाँट मनखे रामू हा धोती पागा के छूटत ले दउँड़ के रेलवे इसटेसन मा हबरिस, जाड़ के दिन मा घला वोहा पछिना मा नहा डरे राहय, पाछू-पाछू ओकर गोसानिन रेवति अपन दू झन लइका ला धरके हबरिस, वहू पछिना […]
Tag: Lalit Sahu Jakhmi
मानक बिना मान नही
हमर राज के गुरतुर छत्तीसगढ़ी बोली अब भाषा बन गेहे, अब तो छत्तीसगढ़ी के मान सम्मान आगास मा पहुंच जाना चाही, फेर अइसन का होवत हे कि हमर अंतस मा हमाय छत्तीसगढ़ी, सम्मान के अगोरा मा दिनोदिन दुबरावत हे? जम्मों झन ये बात ला नकार नइ सके कि कोनो राज, संस्कृति, परंपरा, भाषा अउ गियान-बिग्यान […]
कहिनी : राजा नवयुग के मंत्रीमंडल
सतराज नाव के बड़ सुग्घर राज्य मा सत्यबीर सिंह नाव के प्रतापी राजा राज करय, वइसे तो ओखर नाम बीर सिंग ही रीहिस, फेर जब वोहा राजा बनिस तब राज परंपरा निभाय खातिर बीर सिंह के नाव के आघू मा सत्य जुडगे, ये परंपरा ला उँखर पुरखा मन तइहा जमाना ले चलाय रीहिन, उँखर कहना […]
व्यंग्य : चुनाव के बेरा आवत हे
अवईया समे मा चुनाव होवईया हे, त राजनीतिक दाँव-पेंच अउ चुनाव के जम्मों डहर गोठ-बात अभी ले घुसमुस-घुसमुस चालू होगे हे। अउ होही काबर नही, हर बखत चुनाव हा परे-डरे मनखे ला हीरो बना देथे अउ जबर साख-धाख वाला मनखे ला भुइयाँ मा पटक देखे। फेर कतको नेता हा बर रुख सरीख अपन जर ला […]
हमर खान-पान मा नून-मिरचा
मिरचा कहिबे ताहन सुनईया अउ कहईया दूनो के मुहु चुरपुराय अउ आँखी झरझराय सरीख लागथे, फेर उही मिरचा ला हमर खान-पान ले अलगाय के सोचेच भर ले हमर मुहु के सुवाद सबर दिन बर सिराये सरीख घलो लागथे। नून अउ मिरचा बिन काहिंच नइ सुहावय। ये दूनो ला हमन कब ले बउरत हन तेखर परमान […]
कहानी : सेमी कस बँटागे मनखे
रामपुर नाव के एक ठन सुग्घर गाँव रीहिस, जिहाँ के सब मनखे सुनता सलाह अउ संगी मितानी, छोट-बड़े ला मान देवईया रीहिन, सिरतोन मा रामपुर मा रामराज हावय सरीख लागे। उहाँ के मुखिया रामदास घलो सबके हित सोचईया रीहिस, पूरा गाँव ला वोहा एके घर बरोबर समझे अउ जनता ला अपन लोग लइका बरोबर मया […]
उछाह के परब गणतंत्र दिवस
26 जनवरी के दिन हा हमर बर राष्ट्रीय तिहार आय, अउ हमन जम्मों झन ये उछाह के परब गणतंत्र दिवस ला मिलके मनाथन। ये दिन ला हमन अपन संविधान के स्थापना दिवस के रूप मा घलो जानथन। फेर संविधान के सिरतो मा सम्मान करे बर येखर महत्ता ला जानना घलो जरूरी हे। गणतंत्र बर कहे […]
नवा बछर के शुरुआत : कहानी
स्कूल के लइका मन गोठियावत रइथे कि ये पइत नवा बछर के शुरुआत कोन ढ़ंग ले करबो, त जम्मों झन अपन-अपन योजना अउ संगे संग पऊर नवा बछर के सुवागत कइसे करे रीहिन वहू ला सुरता करत राहय, एक झन कइथे हमन तो परवार भर के जम्मों झन जुरिया के दर्शन करे बर अउ पिकनिक […]
चुनाव के बेरा आवत हे
अवईया बछर मा चुनाव होवईया हे, त राजनीतिक दाँव-पेच अउ चुनाव के जम्मों डहर गोठ-बात अभी ले चालू होगे हे। अउ होही काबर नही, हर बखत चुनाव हा परे-डरे मनखे ला हीरो बना देथे अउ जबर साख-धाख वाला मनखे ला भुइयाँ मा पटक देखे। फेर कतको नेता हा बर रुख सरीख अपन जर ला लमा […]
बरी-बिजौरी मा लुकाय बिग्यान
हमर संस्कृति हा हजारों बछर मा थोक-थोक करके पनपे हवय, ते पाय के जम्मों चीज मा काहीं ना काहीं गूढ़ बात नइते बिग्यान लुकाय रथे, जेनहा सोजहे मा नइ समझ आवय। अब हमर खान-पान ला देख लव, कते मऊसम मा का खाना हे का बनाना हे अउ ओखर हमर तन मन धन अउ समाज मा […]