माडी भ्ार चिखला मा तन ला गडाए, कारी मोटियारी टुरी रोपा लगात हे ।। असाढ के बरसा मा तन ला भिजोए, अवइया सावन के सपना सजात हे ।। धान के थ्ारहा ला धर के मुठा मा, आज अपन भाग ला सिरतोन सिरजात हे ।। भूख अउ पियास हा तन ला भुला गेहे, जागर के टुटत […]
Tag: Mathura Prasad Verma
देख के इकर हाल मोला रोवासी आ जाथे । ।। रोए नी सकव मोर मुँह मा अब हाँसी आ जाथे ।। आज काल के लइकामन भुला गिन मरजादा, मुहाटी मा आके सियान ला तभो खासी आ जाथे ।। बरा अउ सोहारी बेटा बहु रोज खाथे , सियानिन के भाग मा बोरे बासी आ जाथे ।। […]
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दू कबिता ‘प्रसाद’ के
-१- देख के इकर हाल मोला रोवासी आ जाथे, रोए नी सकव मोर मुँह मा अब हाँसी आ जाथे।। आज काल के लइकामन भुला गिन मरजादा, मुहाटी मा आके सियान ला तभो खासी आ जाथे।।