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कविता

मोर छत्तीसगढ़ कहां गंवागे

मोर छत्तीसगढ़ कहां गंवागे संगी कोनो खोज के लाववं भाखा बोली सबो बदलगे मया कहां के मैंय पाववं कहानी किस्सा सबो नंदागे पीपर पेड़ कटागे नई सकलाय कोनो चाउंरा म कोयली घलोक उड़ागे सुन्ना परगे लीम चाउंरा म रात दिन खेलत जुंआ दारु महुरा पीके संगी करत हे हुंआ हुंआ मोर अंतस के दुख पीरा […]