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कविता

नवरात्रि मनाबो

चलो संगी आज नवरात्रि मनाबो , मिलजुल के माता रानी ला सजाबो । विराजे हाबे हमर घर दुर्गा दाई हा—— चलो संगी आज नवरात्रि मनाबो।। फूल पान से सुघ्घर आसन ल सजाबो, लाली लाली चुनरी माता रानी ल ओढाबो। सोलह श्रृंगार करबो दुर्गा माता के—— चलो संगी आज नवरात्रि मनाबो।। मंदिर म सुघ्घर नवजोत जलाबो, […]

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कविता

दारू छोड़व

झन पी तैं दारू ला संगी , एक दिन तेहा पछताबे। सब कुछ खतम हो जाही ता , काला तेहा खाबे।। छोड़ दे तेहा दारू पीना , आदी तैं हो जाबे। बड़े बड़े बिमारी आही, जान अपन गंवाबे।। लड़ाई झगड़ा छोड़ दे , झन कर तैं अपमान। नारी होथे दुर्गा काली , ओकर कर सम्मान […]

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कविता

जाड़ भागत हे

जाड़ ह भागत हे जी, गरमी के दिन आगे। स्वेटर साल ल रखदे, कुछु ओढे ल नइ लागे। कुलर पंखा निकाल, रांय रांय के दिन आगे। घाम ह अब्बड़ बाढ़गे, गरम गरम हावा लागे। आमा अब्बड़ फरे हे, लइका मन सब मोहागे। चोरा चोरा के खावत लइका, ओली म धर के भागे।। प्रिया देवांगन “प्रियू” […]

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कविता

राजिम मेला

राजिम मेला आगे संगी, घूमे ल सब जाबो। राजीव लोचन के दर्शन करके, जल चढ़ा के आबो। अब्बड़ भीड़ हाबे संगी, राजिम के मेला में। जगा जगा चाट पकौड़ी, लगे हे ठेला में। किसम किसम के माला मुंदरी सबोझन बिसाबोन। नान नान लइका मन बर, ओखरा लाई लाबोन। बड़े बड़े झूला लगे हे, लइका मन […]

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कविता

परीक्षा

परीक्षा के दिन आगे जी , लइका मन पढ़त हे, अव्वल नंबर आही कहिके , मेहनत अबड़ करत हे। बड़े बिहनिया सुत उठ के , पुस्तक कापी ल धरत हे, मन लगाके पढ़त लिखत। जिंनगी ल गढ़त हे।। पढ़ लिख के विद्वान बनही, रात दिन मेहनत करके। दाई ददा के सेवा करही, सपना पूरा करके।। […]

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कविता

कविता – चिड़िया रानी

चिड़िया रानी बड़ी सयानी , दिनभर पीती पानी। दाना लाती अपना खाती, बच्चों को संग खिलाती । चिड़िया रानी चिड़िया रानी —-।। सुबह सुबह से , चींव चींव करके। सबको सपनों से जगाती, चिड़िया रानी चिड़िया रानी ।। आसमान की सैर करती, बाग बगीचों में घूमा करती। रंग बिरंगी फूल देखकर , मीठी मीठी गीत […]

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कविता

छेरछेरा

सबो संगवारी मिलके, झोला धरके जाथे। सब के मुहाटी मा, जा जा के चिल्लाथे।। छेरछेरा छेरछेरा, माई कोठी के धान ल हेरहेरा। अरन बरन कोदो दरन, जभे देबे तभे टरन।। कोनो देथे रूपया पइसा, कोनों धान ल देथे। धान मन ला बेंच के, पइसा ल बांट लेथे।। पुन्नी के मेला जी, इही दिन होथे। पइसा […]

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कविता

जाड़ अब्बड़ बाढ़त हे

बिहनिया ले उठ के दाई , चूल्हा ल जलावत हे । आगी ल बारत हे अऊ , चाहा ला बनावत हे । जाड़ अब्बड़ बाढ़त हे हँसिया ला धर के दाई , खेत डाहर जावत हे । घाम म बइठे बबा , नाती ला खेलावत हे ।। जाड़ अब्बड़ बाढ़त हे सेटर शाल ओढे हावय […]

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कविता

सावन झूला

सावन महीना आ गे संगी , चलव झूला झुलबो । सखी सहेली सबो संगी, एके जगा मा मिलबो । अब्बड़ मजा आही बहिनी , जब झूला मा झुलबो । जाबो अमरइया के तीर मा , एके जगा सब मिलबो । मंदिर जाबो सबो झन हा , शिव भोला ल मनाबो । दूध दही अउ नरियर […]

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गीत

गरमी अब्बड़ बाढ़त हे

गरमी अब्बड़ बाढ़त हे, कइसे दिन ल पहाबो। गरम गरम हावा चलत हे, कूलर पंखा चलाबो।। घेरी बेरी प्यास लगत हे , पानी दिनभर पियाथे । भात ह खवाय नही जी, बासी गट गट लिलाथे। आमा के चटनी ह, गरमी म अब्बड़ मिठाथे। नान नान लइका मन, नून मिरचा संग खाथे। पेड़ सबो कटा गेहे, […]