लोककथा सतवंतिन ह, अउ मुड़ म बोहे लकड़ी के बोझा ल धिरलगहा अंगना म मढ़ाइस। एती लकड़ी ह माढ़िस अउ चार ठन बड़े-बड़े गंऊहा डोमी सांप ह मुड़ी उठा के खड़े होगे। डोकरी ह देखके डर्रागे अउ सांप-सांप कहिके गोहार पारिस। सांप के नाव ल सुनके वोकर चारों झन बेटा मन लउठी धर के आइन […]
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