Categories
कविता

प्‍यारे लाल देशमुख के कबिता संग्रह ले दू ठन कबिता

बरदान दे हे गउरी के लाला गजानंद, हमला तंय बरदान दे. बिगडे तोर लईका मन ला, सोझ रावन मा लान दे. दारू सीजर रोज पियत हे, पान मसाला खावत हे, घर मा आके दाई ददा के, बारा रोज बजावत हे. पढई लिखई म चंट होवय, अइसन उनला गियान दे, बिगडे तोर लईका मन ला सोझ […]

Categories
कविता

प्‍यारे लाल देशमुख के कबिता संग्रह ले दू ठन कबिता

बरदान दे हे गउरी के लाला गजानंद, हमला तंय बरदान दे. बिगडे तोर लईका मन ला, सोझ रावन मा लान दे. दारू सीजर रोज पियत हे, पान मसाला खावत हे, घर मा आके दाई ददा के, बारा रोज बजावत हे. पढई लिखई म चंट होवय, अइसन उनला गियान दे, बिगडे तोर लईका मन ला सोझ […]