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गोठ बात

बेटी मन ल बचाए बर

अपन रखवार खुद बनव, छोंड़व सरम लजाए बर। घर घर मा दुस्साशन जन्मे, अब आही कोन बचाए बर।। महाकाली के रूप धरके, कुकर्मी के सँघार करव। मरजादा के टोर के रुंधना, टँगिया ल फेर धार करव।। अब बेरा आगे बेटी मन ला, धरहा हँसिया ल थम्हाए बर… अपन रखवार….. बेटी के लहू मा, भुँइया लिपागे, […]

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कविता

पछताबे गा

थोरिको मया,बाँट के तो देख, भक्कम मया तैं पाबे जी। पर बर, खनबे गड्ढा कहूँ, तहीं ओंमा बोजाबे जी।। उड़गुड़हा पथरा रद्दा के, बनके ,झन तैं घाव कर। टेंवना बन जा समाज बर, मनखे म धरहा भाव भर।। बन जा पथरा मंदीर कस, देंवता बन पुजाबे जी…. थोरको…… कोन अपन ए ,कोन बिरान, आँखी उघार […]

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गीत

महतारी तोर अगोरा मा

परसा झुमरै कोइली गावय, पुरवईया संग,दाई के अगोरा मा। नवा बछर ह झुम के नाचय, सेउक माते ,नवरात्रि के जोरा मा।। लाली धजा संग देव मनावय, भैरो बाबा , गाँव के चौंरा-चौंरा मा।। बईगा बबा ह भूत भगावय, मार के सोंटा,डोरा मा।। सातो बहिनीया आशीस लुटावय, बइठे दाई तोर कोरा मा।। बीर बजरंगी फूलवा सजावय, […]

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कविता

धीर लगहा तैं चल रे जिनगी

धीर लगहा तैं चल रे जिनगी, इहाँ काँटा ले सजे बजार हवय। तन हा मोरो झँवागे करम घाम मा, देख पानी बिन नदिया कछार हवय।। मया पीरित खोजत पहाथे उमर, अऊ दुख मा जरईया संसार हवय।। कतको गिंजरत हे माला पहिर फूल के, मोर गर मा तो हँसिया के धार हवय।। सच के अब तो […]

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कविता

मैं माटी अंव छत्तीसगढ़ के

मैं माटी अंव छत्तीसगढ़ के, बीर नरायन बीर जनेंव। कखरो बर मैं चटनी बासी, कखरो सोंहारी खीर बनेंव।। कतको लांघन भूखन ल मोर अंचरा मा ढांके हंव। अन्न ल खाके गारी दिन्हे, उहू ल छाती मा राखे हंव।। लुटत हे अब बैरी मन हा, जौन पहुना बनके आए रिहिन। झपट के आज मालिक बनगे, जौन […]

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गोठ बात

छत्तीसगढ़ी कविता

दारू अउ नसा ह जब, इंहा ले बंद हो जाही। ‎तभे, गांवे के लइका मन, ‎विवेकानंद हो पाही।। जवानी आज भुलागे हे, गुटका अउ खैनी मा। देश कइसे चढ़ पाही? बिकास के निंसैनी मा।। जब गांवे ह गोकुल, अउ ददा ह नंद हो जाही… तभे गावें…. भ्रष्टाचार समागे हे, जवानी के गगरी मा। तभे लइका […]

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कविता

चिंतन के गीत

बरहा के राज मा, जिमीं कांदा के बारी। बघवा बर कनकी कोंढ़हा, कोलिहा बर सोंहारी।।.. कतको लुकाएंव दुहना, कतको छुपाएंव ठेकवा। दे परेंव, बिलई ल रखवारी.. चोरहा ल देखके, सिपाही लुकाथे जी। बिलई ल देखके, मुसुवा गुर्राथे जी।। मछरी ह होगे अब तो, कोकड़ा बर सिकारी… बरहा के…. गरी खेलईया ह , फोही लगावत हे। […]

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कविता

महतारी के अंचरा

कलप कलप के चिचियावत हे, महतारी के अंचरा। अब आंसू ले भीग जावत हे, महतारी के अंचरा।। पनही के खीला अब, पांवे म गड़त हे। केवांस के नार अब, छानी मा चढ़त हे।। सूते नगरिहा ल जगावत हे, महतारी के अंचरा।…. कलप कलप….. मरहा खुरहा जम्मो, अंचरा म लुकाईस। हमर बांटा के मया मा, बधिया […]

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कविता

नवा बछर के नवा तिहार

नवा बछर के नवा तिहार, दुनिया भर ह मनाही जी।। मोर पीरा तो अड़बड़ जुन्ना, मोर ,नवा बछर कब आही जी?? काबर गरीब के जिनगी ले, सुख के, सुरूज कहाँ लुकागे हे। करजा बोड़ी के पीरा सहीते, आंखी के ,आंसू घलो सुखागे हे।। मोर दशा के,टुटहा नांगर, बूढ़हा बईला हवय गवाही जी…. मोर, नवा बछर […]

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कविता

बीर नरायन बनके जी

छाती ठोंक के गरज के रेंगव, छत्तीसगढ़िया मनखे जी। परदेशिया राज मिटा दव अब, फेर ,बीर नरायन बनके जी।। हांस के फांसी म झूल परिस, जौन आजादी के लड़ाई बर। उही आगी ल छाती मा बारव, छत्तीसगढ़िया बहिनी भाई बर।। अपन हक ल नंगाए खातिर, आघू रहव अब तनके जी…. छाती ठोंक के…..! परदेशिया… आज […]