सियान मन के सीख ला माने मा ही भलाई हे। तइहा के सियान मन कहय-बेटा! कुँआ-तरिया मा जलदेवती माता के निवास होथे रे। एमा कचरा.पथरा नइ डारय, अबड पाप होथे। फेर हमन नई मानेन। जम्मों कुँआ ला कचरा डार-डार के बराबर कर डारेन अउ तरिया ला तो बना के कई मंजिल के बिल्डिंग तान देन। […]
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सियान मन के सीख ला माने मा ही भलाई हे। तइहा के सियान मन कहय-बेटा! रूख-राई ला काटे ले अबड पाप होथे रे। फेर हमन नई मानेन। बिन आँखी-कान के जम्मों रूख-राई ला काटेन। सियान मन कहय-बेटा! रूख-राई लगाए ले संतान बाढथे रे! सही तो आय। अब के संतान मन के खाए पिए बर साग-भाजी […]
सियान मन के सीख : चोला माटी के हे राम
सियान मन के सीख ला माने मा ही भलाई हे। तइहा के सियान मन कहय-बेटा! चोला माटी के तो आय रे। फेर संगवारी हो हमन उॅखर बात ला बने ढंग ले समझ नइ पाएन। संगवारी हो जब.जब अक्ति के तिहार आथे अउ माटी के पुतरा.पुतरी मन बजार मा दिखथे तब सियान मन के गोठ.बात हर […]
आगू दुख सहिले
सियान मन के सीख ला माने मा ही भलाई हे। तइहा के सियान मन कहय-बेटा! आगू दुख सहिले रे! पाछू सुख करबे। फेर संगवारी हो हमन उखर बात ला नइ मानन। जम्मो मनखे मन पहिली सुख पाए के मन रखथे। उमन के सोच अइसे रहिथे के बाद मा दुख ला तो भोगने हावय एखर सेती […]
सियान मन के सीख- चुप बरोबर सुख नहीं
सियान मन के सीख ला माने म ही भलाई हे। संगवारी हो तइहा के सियान मन कहय-बेटा! चुप बरोबर सुख नही रे। फेर संगवारी हो हमन उॅखर बात ला बने ढंग ले समझ नइ पाएन। आज के जमाना म मनखे मन बोले बर अतका ललाइत रहिथे के उनला पते नइ चलय के उमन बोलत-बोलत का […]
दूर के सोचथे महामानव
सियान मन के सीख ला माने मा ही भलाई हावय। तइहा के सियान मन कहय-बेटा! मनखे ला हमेसा दूर के सोचना चाही रे। फेर संगवारी हो हमन नइ मानन। हमन हर अतका स्वारथी हो गै हावन के हमन हमेसा आज के बारे अउ अभी के बारे सोचथन अउ कहिथन के मनखे ला जियत भर जिनगी […]