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कविता

कोन जनी कब मिलही..?

जुग-जुग ले आंखी म आंसू, अउ हिरदे म घाव। कोन जनी कब मिलही तिरिया, जग म तोला नियाव।। होइस कभू तोर अंचरा दगहा, कभू मिलिस बनवास, तइहा जुग ले देवत परीक्षा, जिवरा होगे हदास। कोनो हारथे खेलत पासा, तोला लगाके दांव।। कोन जनी… कोन ल अपन बताबे इहां तैं, कहिबे कोन बीरान, तोर सनमान ल […]