दाई के होगे हलाकानी रदरद रदरद गिरत हे पानी, दाई के होगे हे हलाकानी। घेरी बेरी देखे उतर के अँगना में, माड़ी भर बोहात हे गली में पानी। लकड़ी ह फिलगे छेना ह फिलगे, चूलहा में तको ओरवाती ह चुहगे। रांधव रंधना कईसे बड़ परशानी, दाई खिसयाय का बताव कहानी। झनन झनन झींगुरें चिल्लाये, टरर […]
Categories